- सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले की गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई
- सीबीआई ने कहा कि उसे और ईडी को इस मामले की जांच करने दी जाए
- बिहार सरकार ने कहा कि इस मामले की जांच पटना पुलिस कर सकती है
नई दिल्ली : अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत केस की सुनवाई गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई। इस दौरान महाराष्ट्र सरकार, बिहार सरकार और रिया चक्रवर्ती ने अपना जवाब दाखिल किया। मामले की जांच कर रही सीबीआई ने शीर्ष अदालत के सामने दलील दी कि उसे और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को इस मामले की जांच करने दिया जाए। जांच एजेंसी ने कहा कि सीबीआई से जांच न कराने के लिए अर्जियों में दलील दी गई है कि अभिनेता सुशांत सिंह के खाते से ज्यादातर लेन-देन मुंबई में हुए हैं इसलिए पटना पुलिस के क्षेत्राधिकार में यह जांच नहीं आती। सीबीआई ने कहा कि यह दलील ठीक नहीं है और कई वजहों से इस अर्जी को खारिज किया जा सकता है।
बिहार सरकार ने अपना जवाब दाखिल किया
सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार ने अपना जवाब दाखिल किया है। बिहार सरकार ने कहा कि राज्य की पुलिस सुशांत सिंह की मौत मामले की जांच कर सकती है। सुनवाई के दौरान केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मुंबई पुलिस का कहना है कि उसने मामले की जांच के दौरान 56 गवाहों के बयान दर्ज किए हैं लेकिन इन बयानों की कोई कानूनी प्रामाणिकता एवं वैधता नहीं है क्योंकि इस मामले में अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।
सुशांत के पिता ने कहा-मुझे अपने बेटे से बात नहीं करने दी गई
वहीं, सुशांत के पिता केके सिंह ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने पटना से अपने बेटे से फोन पर बात करने की कोशिश की लेकिन आरोपी ने यह बात नहीं होने दी। सुशांत के पिता ने कहा कि यदि उनकी बातचीत अपने बेटे से हुई होती तो वह उसका जीवन बचा सकते थे। बिहार सरकार ने अपने लिखित जवाब में सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जाहिर तौर पर राजनीतिक दबाव के चलते ही मुंबई पुलिस ने मामले में न तो प्राथमिकी दर्ज की और न ही जांच में पटना पुलिस का सहयोग किया।
'पुलिस अधिकारी को हिरासत में ले लिया'
बिहार सरकार ने कहा कि केस को मुंबई स्थानांतरित करने की मांग की गई है जिसे खारिज करने की जरूरत है। बिहार सरकार ने कहा कि एसपी विनय तिवारी जो मामले की जांच करने 2 अगस्त को मुंबई पहुंचे थे, उन्हें क्वरंटाइन के नाम पर एक तरह से 'हिरासत' में ले लिया गया। पुलिस अधिकारी को उन्हें अपना काम नहीं करने दिया गया।