- तमिलनाडु के तंजावुर में ब्रह्मोस मिसाइल से लैस सुखोई-30 एमकेआई विमानों की तैनाती
- रणनीतिक लिहाज से हिंद महासागर क्षेत्र में अहम भूमिका निभा सकती है वायुसेना
- सीडीएस बिपिन रावत बोले- जरूरत पड़ने पर नौसेना और थल सेना की मदद कर पाएंगे लड़ाकू विमान
नई दिल्ली: सीडीएस जनरल बिपिन रावत और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने सोमवार को तमिलनाडु के तंजावुर में एयरबेस पर सुखोई- 30 एमकेआई लड़ाकू विमान स्क्वाड्रन को आधिकारिक तौर पर शामिल किया। यह दक्षिण भारत में SU-30MKI लड़ाकू विमान का पहला स्क्वाड्रन है जो समुद्री इलाके में भी ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए तैयार रहेगा। हिंद महासागर क्षेत्र में रणनीतिक तौर पर इसकी भूमिका अहम होगी।
तंजावुर में तैनात किए गए सुखोई -30 एमकेआई लड़ाकू विमान ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को हवा से लॉन्च करने में सक्षम हैं और दोनों घातक हथियार भारतीय सुरक्षा रणनीति के तहत यहां तैनात रहेंगे। ब्रह्मोस लगभग 300 किलोमीटर की दूरी तक लक्ष्य को सटीक निशाना लगाकर तबाह करने में सक्षम मिसाइल है।
इस बारे में बोलते हुए भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत ने कहा, 'तंजावुर रणनीतिक रूप से दक्षिणी प्रायद्वीप में बहुत अच्छी जगह है और यहां से वायुसेना समुद्री इलाके में भी हावी रह सकती है। इस तथ्य के आधार पर भारतीय नौसेना को सुखोई-30 की स्क्वाड्रन बहुत करीब और एकीकृत सपोर्ट दे सकती है। यहां से जमीनी सुरक्षा बलों और सेना को भी जरूरत पड़ने पर मदद दी जा सकती है।' पाकिस्तान से जुड़े एक सवाल के जवाब में जनरल बिपिन रावत ने कहा, 'सभी रक्षा सेवाओं को किसी भी विकल्प के लिए तैयार किया जाता है।'
गौरतलब है कि हिंद महासागर इलाके में चीन की गतिविधियों के बढ़ने की खबरें लगातार सामने आती रहती हैं। इस बीच भारतीय वायुसेना देश की सुरक्षा और रणनीति के लिहाज से अहम इस इलाके में अहम भूमिका निभा सकती है। वायुसेना तेज कार्रवाई करने के लिए जानी जाती है और करीब 1500 किलोमीटर मारक क्षमता रखने वाले सुखोई-30 एमकेआई विमान हवा में अपनी जगह से 300 किलोमीटर दूरी तक समुद्र में मौजूद लक्ष्य पर निशाना साध सकते हैं। ऐसे में तंजावुर में सुखोई-30 की मौजूदगी भारत के लिए अहम है।