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IAF The Tiger Sharks SQN: सुखोई की गरज के साथ वायुसेना की 'द टाइगर शार्क्स' स्क्वाड्रन फिर शुरु

TigerShark Squadron of Indian Air Force
Updated Jan 01, 2020 | 22:12 IST

साल 1969 में बनी 'द टाइगर शार्क्स' स्क्वाड्रन को भारतीय वायुसेना ने एक बार फिर ऑपरेशनल कर दिया है। इसे एयरफोर्स के सबसे ताकतवर विमानों में से एक सुखोई-30 एमकेआई से लैस किया गया है।

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TigerShark Squadron of Indian Air Force TigerShark Squadron of Indian Air Force
तस्वीर साभार:&nbspANI
भारतीय वायुसेना की टाइगरशार्क स्क्वाड्रन फिर से शुरु
मुख्य बातें
  • भारतीय वायुसेना की नंबर 222 स्क्वाड्रन 'द टाइगर शार्क्स' फिर से हुई शुरु
  • अत्याधुनिक सुखोई-30 एमकेआई विमानों से लैस होकर देगी सेवा
  • 15 सितंबर 1969 को शुरु हुई थी 'द टाइगर शार्क्स' स्क्वाड्रन

नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना जिसके कंधों पर देश के आसमान की सुरक्षा की जिम्मेदारी है उसे आज आसमान के परिदों का एक और दस्ता मिल गया है। जिसका नाम है- नंबर 222 स्क्वाड्रन 'द टाइगर शार्क्स'। भारतीय वायुसेना की यह स्क्वाड्रन आज 1 जनवरी 2020 को आधुनिक लड़ाकू विमान सुखोई-30 एमकेआई के साथ एक बार फिर से पुनर्जीवित हुई है। पहली बार इस स्क्वाड्रन को 15 सितंबर 1969 में स्थापित किया गया था।

भारतीय वायुसेना ने खुद ट्विटर पर इस बारे में जानकारी दी है। सबसे पहले सुखोई-7 विमान के साथ साल 1969 में शुरुआत हुई और बाद में इसमें मिग-27 विमानों ने भी सेवा दी जिसे कारगिल युद्ध के समय 'बहादुर' का नाम मिला था। साल 2011 में 'द टाइगर शार्क्स' के मिग-27 विमानों के रिटायर होने के बाद यह स्क्वाड्रन निष्क्रिय हो गई थी।

भारतीय वायुसेना ने इस बारे में ट्वीट करते हुए लिखा, '222 स्क्वाड्रन 'द टाइगर शार्क्स' आज अत्याधुनिक Su-30 MKI मल्टीरोड लड़ाकू विमान के साथ फिर से जीवित हो गई। Su-7 के साथ 15 सितंबर 1969 को इसे बनाया गया था। बाद में इस स्क्वाड्रन में मिग-27 ग्राउंड अटैक एयरक्राफ्ट से सुसज्जित किया गया। इन विमानों को 2011 में रिटायर कर दिया गया था।'

सुखोई-30 एमकेआई:

सुखोई-30 एमकेआई विमान भारतीय वायुसेना की रीढ़ है और इसे भारत के अहम रक्षा साझेदार रूस ने विकसित किया है। भारत ने रूस के सुखोई-30 विमान में अपनी जरूरतों के अनुसार बदलाव करवाए और नया नाम मिला- सुखोई 30 एमकेआई। भारत में ही इस विमान को हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड असेंबल करती है और इसके कलपुर्जे यानी पार्ट्स रूस से भारत खरीदता है।

काबिलियत में कमाल, ताकत बेमिसाल: सुखोई-30 एमकेआई चौथी पीढ़ी के सबसे उन्नत और कलाबाजियां करने में माहिर विमानों में से एक है। यह एक मल्टीरोल लड़ाकू विमान है जिसका मतलब है यह जमीनी हमले (ग्राउंट अटैक), हवाई लड़ाई (डॉग फाइट), समुद्री हमले (सी अटैक) जैसे कई तरह के मिशनों को अंजाम देने में सक्षम है।

ब्रह्मोस के साथ बना और भी मारक:

भारत ने सुखोई-30 एमकेआई को एक खास हथियार से लैस करके अपनी तरह पहला विमान बना दिया है। इस हथियार का नाम है ब्रह्मोस मिसाइल। ब्रह्मोस दुनिया की सबसे घातक क्रूज मिसाइल है जिसे भारत और रूस ने मिलकर बनाया है। भारत ने इस मिसाइल को सुखोई-30 एमकेआई से दागने की क्षमता विकसित कर ली है। जिसके बाद यह विमान 250- 300 किलोमीटर दूरी पर हवा की गति से भी कहीं ज्यादा तेजी से उड़ने वाली मिसाइल से हमला कर सकता है।

गौरतलब है कि भारतीय वायुसेना नए साल के दिन एक खास वीडियो भी ट्विटर पर शेयर किया। इस वीडियो में देश के हवाई योद्धाओं के शौर्य की झलक दिखाई गई है। इसमें आसमान में उड़ते सुखोई और फ्रांस से खरीदे गए राफेल लड़ाकू विमान भी नजर आ रहे हैं।

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