नई दिल्ली : किसान आंदोलन पर पॉप सिंगर रिहाना और पर्यावरणविद ग्रेटा थनबर्ग के ट्वीट के बाद देश में सरकार और विपक्ष के बीच जुबानी जंग जारी है। सोशल मीडिया पर इस मामले के तूल पकड़ने और विपक्ष के आक्रामक होने के बाद विदेश मंत्रालय ने इस बारे में बयान जारी किया है। मंत्रालय ने बुधवार को जारी अपने बयान में कहा कि किसान आंदोलन पर अंतरराष्ट्रीय हस्तियों के ट्वीट 'दुर्भाग्यपूर्ण' हैं। रिहाना और ग्रेटा ने मंगलवार को किसान आंदोलन पर ट्वीट किए। इसके बाद सोशल मीडिया पर इन ट्वीट पर बड़ी संख्या में प्रतिक्रियाएं आने लगीं।
विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया
अंतरराष्ट्रीय हस्तियों के ट्वीट पर विदेश मंत्रालय ने विस्तृत बयान जारी किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव की ओर से जारी बयान में कहा गया है, 'इस तरह के मामलों पर टिप्पणी करने में जल्दबाजी दिखाने से पहले जरूरी है कि इसके बारे में तथ्यों की सही तरीके से जांच-पड़ताल कर ली जाए और मुद्दे को सही तरीके से समझ लिया जाए। सेलिब्रिटीज एवं अन्य की तरफ से इस तरह के ट्वीट न तो तथ्यपरक होते हैं और न ही उनमें कोई समझ होती है।' विदेश मंत्रालय ने आगे कहा है कि जिन कृषि सुधारों कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर हजारों किसान धरना दे रहे हैं, उन कानूनों को किसानों के हित में संवैधानिक प्रक्रिया को अपनाते हुए संसद से पारित किया गया है।
थनबर्ग और रिहाना ने किया है ट्वीट
बयान के अनुसार विदेश मंत्रालय ने कहा कि 'भारत के किसानों का एक बहुत ही छोटे समूह को इन सुधारों के प्रति शंकाएं हैं। प्रदर्शनकारियों की भावनाओं का सम्मान करते हुए सरकार ने उनके नुमाइंदों के साथ बातचीत कर रही है। यहां तक कि पीएम मोदी ने मसले का हल निकलने तक कानूनों को ठंडे बस्ते में रखने के लिए कहा है।' पर्यावरणविद ग्रेटा थनबर्ग ने किसान आंदोलन की एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा है, 'भारत में चल रहे किसान आंदोलन के प्रति हम अपनी एकजुटता दिखाते हैं।' जबकि पॉप सिंगर रिहाना ने एक किसान आंदोलन पर एक लेख साझा करते हुए लिखा कि 'हम इसके बारे में बातें क्यों नहीं कर रहे हैं?'
विपक्ष ने उठाए सवाल
किसान आंदोलन पर अंतरराष्ट्रीय हस्तियों के ट्वीट के बाद विपक्ष को सरकार को घेरने का मौका मिल गया है। विपक्ष का कहना है कि इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि खराब हो रही है। वहीं, भाजपा नेताओं का कहना है कि इन हस्तियों को गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में हुई हिंसा को भी देखना चाहिए।