- 6 फरवरी के चक्का जाम से दिल्ली-एनसीआर, यूपी और उत्तराखंड को बाहर रखा गया था
- राकेश टिकैत ने कहा कि हिंसा के खतरे की वजह से यूपी और उत्तराखंड तो चक्का जाम से किया गया बाहर
- किसान नेता दर्शन पाल बोले, अच्छा रहा होता कि टिकैत जी बयान देने से पहले बात कर लिए होते
नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले 73 दिन से आंदोलन पर हैं। इस 73 दिन के सफर में आंदोलन के कई रंग दिखाई दिए जिसमें 6 फरवरी का चक्का जाम खास था। यह चक्का जाम इसलिए भी खास था क्योंकि दिल्ली की सीमा पर बैठे किसान संगठनों ने दिल्ली और एनसीआर को इसकी जद से बाहर रखा। इसके साथ ही यूपी और उत्तराखंड को बाहर रखा। यूपी और उत्तराखंड को बाहर रखे जाने के संबंध में भारतीय किसा यूनियन के राकेश टिकैत ने कहा कि उन्हें साजिश के बारे में जानकारी मिली थी। लेकिन दूसरे किसान संगठनों ने कहा कि बेहतक रहा होता कि टिकैत साहब मीडिया में बयान देने से पहले उनसे बात कर लिए होते।
किसान नेताओं में मतभेद!
लुधियाना में चक्का जाम के दौरान एक ट्रैक्टर पर 'भिंडरावाले' के झंडे पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा ' इस मसले पर बात करेंगे, अगर ऐसा हुआ है तो गलत हुआ। जो चीज प्रतिबंधित है वो नहीं लगानी चाहिए। इन सबके बीच किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि 'टिकैत जी को लगा कि उत्तराखंड और यूपी में दंगे हो सकते हैं, इसके बाद तुरंत उन्होंने प्रेस में बयान दिया। अगर और लोगों से बात करके कोई बयान देते तो अच्छा होता। उन्होंने बाद में हमसे बात की, मैं मानता हूं कि जल्दबाजी में ऐसा नहीं करना चाहिए था।
अंतरराष्ट्रीय हस्तियों के समर्थन को धन्यवाद
क्रांतिकारी किसान यूनियन के नेता दर्शन पाल सिंह ने कहा 'हम उन अंतरराष्ट्रीय हस्तियों को धन्यवाद देते हैं, जिन्होंने हमारे आंदोलन का समर्थन किया है।चक्का जाम' सफल और शांतिपूर्ण रहा। कर्नाटक और तेलंगाना में कुछ समस्या सामने आई है, कुछ लोगों को हटाया गया है। आने वाले दिनों में आंदोलन को आगे बढ़ाने पर आज बैठक में चर्चा हुई है।
अगर हनुमान होता तो सीना चीर कर दिखा देता
इसके साथ ही उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि आज किसान आंदोलन के नाम पर जो हो रहा है, उनको मैं बताना चाहता हूं कि आपके प्रति हमारी पूरी संवेदना है। हमारे किसानों के प्रति अगर हम हनुमान होते तो छाती खोलकर दिखाते की हमारे मन में क्या है।इन सबके बीच केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर.के सिंह ने प्रदर्शनकारी किसानों के धरना स्थल पर बिजली के कनेक्शन काटे जाने पर कहा 'क्या इन प्रदर्शनकारियों ने कोई कनेक्शन लिया? यदि नहीं, तो वे बिजली चोरी कर रहे थे और बिजली चोरी एक अपराध है। पुलिस की ओर से बिजली का कनेक्शन काटने की कार्रवाई सही है। बिजली चोरी दंडनीय अपराध है।