- TRS का आरोप है कि केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण तेलंगाना में चावल की खरीद नहीं हो रही है।
- टीआरएस के दिल्ली में धरना प्रदर्शन को देखते हुए भाजपा की तेलंगाना इकाई ने हैदराबाद में प्रदर्शन किया।
- टीआरएस के धरना प्रदर्शन में किसान नेता राकेश टिकैत भी पहुंचे।
Chandrashekhar Rao News: ममता बनर्जी की तरह अब तेलंगाना (Telangana) के मुख्यमंत्री और तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) के अध्यक्ष के चंद्रशेखर राव (K Chandrashekhar Rao) ने भी मोदी सरकार के खिलाफ कड़े तेवर दिखाने शुरू कर दिए है। सोमवार को धान खरीद नीति को लेकर उन्होंने मोदी सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। उन्होंने कहा कि हम भिखारी नहीं है। केंद्र सरकार को जल्द से जल्द नई कृषि नीति लानी चाहिए। उन्होंने चेतावनी के अंदाज में कहा कि किसानों की भावनाओं से नहीं खेले नहीं तो वह सत्ता से हटाने की ताकत रखते हैं।
दिल्ली में धरना, राकेश टिकैत भी शामिल
TRS का आरोप है कि केंद्र की गलत नीतियों के कारण प्रदेश में चावल की खरीद नहीं हो रही है, जिससे किसान परेशान हैं। और 24 घंटे के अंदर खरीद को लेकर स्थिति केंद्र साफ करें,नहीं तो आगे विरोध प्रदर्शन तेज किया जाएगा। टीआरस का कहना है कि केंद्र सरकार की पक्षपातपूर्ण नीति के कारण 61 लाख किसानों और उनके परिवार को परेशानी हो रही है। एक दिन के धरने में पार्टी के सांसद, एमएलसी, विधायक, सभी कैबिनेट मंत्री और शहरी व ग्रामीण स्थानीय निकायों के निर्वाचित प्रतिनिधि यहां तेलंगाना भवन में धरने में शामिल हैं। आज के धरने में किसान नेता राकेश टिकैत भी शामिल हुए। और उन्होंने इस मौके पर कहा कि अब एक और किसान आंदोलन की जरूरत है।
दिल्ली की गद्दी पर नजर, मोदी विरोधी खेमे को साधने में तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव जुटे
भाजपा का भी धरना और इस्तीफे की मांग
टीआरएस के दिल्ली में धरना प्रदर्शन को देखते हुए भाजपा की तेलंगाना इकाई ने हैदराबाद में प्रदर्शन किया। और मांग की कि मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव या तो राज्य के किसानों द्वारा उत्पादित धान खरीद लें या अपने पद से हट जाएं। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री वी मुरलीधरन, राज्य भाजपा अध्यक्ष और सांसद बंदी संजय कुमार और अन्य नेताओं ने आंदोलन में भाग लिया।
इसके पहले तेलंगाना भाजपा अध्यक्ष और सांसद बंदी संजय कुमार ने आरोप लगाया था कि टीआरएस सरकार की धान खरीद पर राजनीति बिचौलियों को सैकड़ों करोड़ बनाने और किसानों के गुस्से को केंद्र की ओर मोड़ने में मदद करने के लिए एक बड़े पैमाने पर साजिश की बू आती है।