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चौरी-चौरा के 100 साल : ब्रिटिश पुलिस के जुल्मों ने तैयार की थी संघर्ष की पृष्ठभूमि

Updated Feb 04, 2021 | 06:30 IST

Chauri Chaura centenary : 'चौरी चौरा' घटना के 100 साल आज पूरे हो गए हैं। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम राज्य के सभी 75 जिलों में 4 फरवरी 2021 से शुरू होगा और 4 फरवरी 2022 तक जारी रहेगा।

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4 फरवरी,1921 में हुई थी चौरी-चौरा की घटना।
मुख्य बातें
  • 'चौरी चौरा' घटना के 100 साल पूरे
  • नरेंद्र मोदी  शताब्दी समारोह का आज उद्धघाटन करेंगे
  • 4 फरवरी 1921 को हुई यह घटना

नई दिल्ली:  'चौरी चौरा' घटना के 100 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज  शताब्दी समारोह का उद्धघाटन करेंगे। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री इस घटना पर एक डाक टिकट भी जारी करेंगे । उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम राज्य के सभी 75 जिलों में 4 फरवरी 2021 से शुरू होगा और 4 फरवरी 2022 तक जारी रहेगा। इस पूरे कार्यक्रम के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहेंगे। 

4 फरवरी,1921 में हुई थी घटना

4 फरवरी 1921 को हुई इस घटना में भारतीयों ने ब्रिटिश पुलिस चौकी में आग लगा दी थी जिसमे चौकी के अंदर छुपे हुए 23 पुलिसकर्मी जिंदा जल के मर गए थे जिसके बाद महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था। इसी घटना के बाद भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक नया अध्याय जुड़ा और भारत की आजादी में शामिल क्रांतिकारियों की 'नरम दल' और 'गरम दल' बने।

शहीदों के परिजनों को सरकार देगी सम्मान

चार फरवरी-1922। इसी दिन गोरखपुर से पश्चिम करीब 20 किलोमीटर दूर चौरी-चौरा में एक घटना घटी। इस घटना की वजह से महात्मा गांधी को अपना असहयोग आंदोलन वापस लेना पड़ा था। चार फरवरी 2021 से शुरू और साल भर चलने वाले चौरी-चौरा के शताब्दी वर्ष पर पहली बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर उनकी सरकार चौरी-चौरा के शहीदों और उनके परिजनों को वह सम्मान देने जा रही है जिसके वह हकदार हैं। कार्यक्रम का वर्चुअल उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। इस दिन पूरे प्रदेश में एक साथ, एक समय पर बंदे मातरम गूंजेगा। सुबह प्रभात फेरी निकलेगी। शाम को हर शहीद स्थल पर दीप प्रज्‍जवलित किया जाएगा। शहीदों की याद में अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।

गोरखपुर बना था क्रातिकारियों का गढ़

दरअसल, 13 अप्रैल 1919 को हुआ जलियावाला बाग कांड और 4 फरवरी 2021 को चौरी-चौरा की घटना के बाद से ही जंगे आजादी में चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, राम प्रसाद बिस्मिल, राजेंद्र लाहिड़ी, अशफाक उल्लाह जैसे क्रांतिकारी सोच के लोग हारावल दस्ते के रूप में उभरे। इन सबका मानना था कि आजादी सिर्फ अहिंसा से मिलने से रही। उस दौरान गोरखपुर ऐसे क्रांतिकारियों का गढ़ बन गया था। काकोरी कांड के आरोप में रामप्रसाद बिस्मिल ने वहीं के जेल में सजा काटी। वहीं 10 दिसंबर 1927 को उन्होंने हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूमा था। शचींद्र नाथ सान्याल, प्रो. सिब्बन लाल सक्सेना, विश्वनाथ मुखर्जी, शिवरतन लाल, जामिन अली आदि का शुमार ऐसे ही लोगों में होता है।

 इस घटना की पृष्ठभूमि 1857 के गदर से ही तैयार होने लगी थी

महात्मा गांधी के आगमन के करीब साल भर बाद 4 फरवरी 1921 को गोखपुर के एक छोटे से कस्बे चौरी-चौरा में जो हुआ वह इतिहास बन गया। इस घटना के दौरान अंग्रजों के जुल्म से आक्रोशित लोगों ने स्थानीय थाने को फूंक दिया। इस घटना में 23 पुलिसकर्मी जलकर मर गए। इस घटना से आहत गांधीजी ने आंदोलन वापस ले लिया। चौरी-चौरा के इस घटना की पृष्ठभूमि 1857 के गदर से ही तैयार होने लगी थी।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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