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कोरोना से अनाथ हुए बच्चों के भरण-पोषण, पढ़ाई का जिम्मा सरकारों पर, SC का बड़ा फैसला

Updated Jun 08, 2021 | 14:26 IST

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को कहा कि कोरोना महामारी से देश में जो बच्चे अनाथ हो गए हैं, उनकी भरण-पोषण और पढ़ाई-लिखाई का जिम्मा राज्य सरकारों पर हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
कोरोना से अनाथ हुए बच्चों पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला।
मुख्य बातें
  • कोरोना महामारी से अनाथ हुए बच्चों पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला
  • कोर्ट ने कहा कि अनाथ बच्चों की पहचान उजागर कर फंड नहीं जुटाया जा सकता
  • अनाथ बच्चों के भरण-पोषण एवं उनकी पढ़ाई-लिखाई की जिम्मेदारी सरकारों पर

नई दिल्ली : कोरोना महामारी से अनाथ हुए बच्चों पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि कोविड-19 से अनाथ हुए बच्चों के नाम पर फंड जुटाने से रोकने के लिए राज्य सरकारें एवं केंद्रशासित प्रदेश गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) एवं व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करें। कोर्ट ने कहा कि बच्चों की पहचान उजागर उन्हें गोद दिए जाने से रोका जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा है कि कोरोना के कारण जिन बच्चों ने अपने माता-पिता या अभिभावक को खो दिया है, उनके पालन-पोषण और पढ़ाई-लिखाई सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सरकारों की है। 

देश भर में 30 हजार बच्चे हुए अनाथ
कोरोना महामारी की पहली लहर से देश भर में अनाथ होने वाले बच्चों के बारे में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने सोमवार को शीर्ष अदालत में आंकड़ा पेश किया। एनसीपीसीआर ने कोर्ट को बताया कि पांच जून तक राज्यों से मिले आंकड़ों के मुताबिक कोरोना महामारी की वजह से देश भर में कम से कम 30,071 बच्चे अनाथ हुए हैं।


और बढ़ सकता है अनाथ बच्चों का आंकड़ा

आयोग ने कहा कि महामारी के चलते इनमें से 26,176 बच्चों ने अपने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया और 3,621 बच्चे अनाथ हो गए जबकि 274 को उनके रिश्तेदारों ने भी त्याग दिया। आयोग का कहना है कि अनाथ बच्चों के बारे में यह आंकड़ा और बढ़ सकता है क्योंकि कई राज्यों ने खासकर ग्रामीण इलाकों में अनाथ बच्चों से जुड़े सभी आंकड़े एकत्र नहीं किए हैं। दिल्ली और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने आंकड़े एकत्र करने की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं की है।

ज्यादातर अनाथ बच्चों की उम्र  0-13 साल के बीच
आयोग की तरफ से पेश वकील स्वरूपमा चतुर्वेदी ने दायर हलफनामे कहा कि पिछले एक साल में 274 बच्चों को त्याग दिया गया जबकि अनाथ हुए बच्चों में ज्यादातर की उम्र 0-13 साल के बीच है। कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने देश में बड़ी संख्या में तबाही मचाई है। हालांकि कोरोना की यह दूसरी लहर अब कमजोर पड़ने लगी है।

63 दिन बाद मिले एक लाख से कम केस
देश में 63 दिन बाद 24 घंटे में कोविड-19 के एक लाख से कम नए मामले सामने आए। मंगलवार को संक्रमण के 86,498 नए मामले सामने आए। इसके साथ ही देश में संक्रमण की संख्या बढ़कर 2,89,96,473 हो गई है। इससे पहले दो अप्रैल को 24 घंटे में 81,466 नए मामले सामने आए थे।

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