नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि चीन कई तरह से भारत के लिये एक 'चुनौतीपूर्ण पड़ोसी' है और वह इस पड़ोसी देश के विकास को हमेशा सबक के रूप में देखते हैं। इंडिया इकनॉमिक कॉनक्लेव को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि वह जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर 2003 के संघर्ष विराम समझौते का सख्ती से पालन करने के संबंध भारत और पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशकों (डीजीएमओ) के बीच हाल में बनी सहमति को समझदारी भरा कदम मानते हैं।
उन्होंने कहा, 'हम पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसियों जैसे संबंध चाहते हैं। सभी लोग जानते हैं कि इसका क्या अर्थ होता है। अगर इस दिशा में रुझान है, तब मैं इसका स्वागत करूंगा।' यह पूछे जाने पर कि क्या भारत, तालिबान से सम्पर्क स्थापित करेगा, जयशंकर ने कहा कि वह स्पष्ट तौर पर सम्प्रभु, लोकतांत्रिक और समावेशी अफगानिस्तान देखना चाहते हैं, जो अल्पसंख्यकों के हितों का ध्यान रखे।
'चीन का वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रभाव'
विदेश मंत्री ने कहा, 'शांति और मेल-मिलाप की बातें हैं और हर कोई कह रहा है कि तालिबान पहुंच बना रहा है, बदल रहा है.. आदि। हम देखें और इंतजार करें।' यह पूछे जाने पर कि क्या चीन आर्थिक क्षेत्र में अपरिहार्य हो गया है, जयशंकर ने कहा कि चीन का वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रभाव है। उन्होंने कहा, 'मैं नहीं समझता कि कोई इससे इंकार करेगा। मैं सोचता हूं कि पिछले 40 वर्षों में उसने अपनी राष्ट्रीय क्षमता की दिशा में जो कार्य किया, वह सराहनीय है।'
विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन, पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर से शुरू होकर और लगातार पीढ़ियों तक चीन ने कई अर्थो में पश्चिम पर बढ़त बनाई है। जयशंकर ने इसके साथ ही कहा कि यह कहना कठिन है कि भविष्य में क्या होगा क्योंकि आज वहां कई तरह के विरोधाभास और संघर्ष हैं। उन्होंने कहा, 'लेकिन जब बात हमारे उपर आती है तब हमें खुद से यह पूछना होगा कि हमारा एक पड़ोसी देश है, जो काफी अच्छा कर रहा है।'
'चीन एक चुनौतीपूर्ण पड़ोसी'
जयशंकर ने स्पष्ट किया कि उनकी टिप्पणी राजनीतिक बयान नहीं है और यह अंतरराष्ट्रीय संबंध या घरेलू प्रशासन से जुड़ा अवलोकन है। उन्होंने कहा, 'जब 1988 में राजीव गांधी चीन गए थे तब हमारी अर्थव्यवस्था का आकार लगभग बराबर था और आज अंतर देखिये। और इसलिये मैं चीन की वृद्धि को हमेशा सबक के रूप में देखता हूं।' विदेश मंत्री ने कहा, 'मेरे लिए कई तरह से हां, चीन हमारा पड़ोसी है और कई तरह से यह चुनौतीपूर्ण पड़ोसी है।'
यह पूछे जाने पर कि ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में 'हार्ट ऑफ एशिया' सम्मेलन में हिस्सा लेने जाने पर क्या उनकी मुलाकात पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से होगी, उन्होंने कहा, 'मेरा कार्यक्रम प्रगति पर है। अभी तक मैं ऐसी किसी बैठक (के कार्यक्रम) होने के बारे में नहीं जानता।' यह सम्मेलन 30 मार्च को निर्धारित है।
कोरोना वायरस महामारी का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने विभिन्न देशों को कोविड-19 रोधी टीके की आपूर्ति का उल्लेख किया और यह भी बताया कि किस प्रकार से 75 देशों को भारत की ओर से टीके की आपूर्ति की गई।