- सीमा पर तनाव कम करने के लिए भारत-चीन दोनों देशों के बीच कई स्तर की वार्ताएं हुई हैं
- बातचीत में चीन सहमत हुआ है कि पूर्वी लद्दाख में अतिक्रमण के स्थानों से वह पीछे हटेगा
- पूर्वी लद्दाख के भीतरी एवं अग्रिम मोर्चों पर उसने 40 हजार सैनिकों की तैनाती की है
नई दिल्ली : चीन पर भरोसा करना खुद को धोखे में रखने जैसा है, यह बात ऐसे ही नहीं कई गई है। चीन की नीति एवं नीयत ही ऐसी ही कि उसकी बातों और वादों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि सैन्य कमांडर स्तर की बातचीत में तनाव वाले इलाकों से अपनी सेना पीछे हटाने पर सहमत होने के बावजूद चीन की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) एलएसी पर गतिरोध कम करने के लिए तैयार नहीं दिख रही। उसने पूर्वी लद्दाख के गहराई वाले इलाकों और अग्रिम मोर्चों पर करीब 40 हजार अपने जवानों को तैनात कर रखा है।
सहमति के बावजूद अपने सैनिक पीछे नहीं हटा रहा चीन
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि पूर्वी लद्दाख में जिन बिंदुओं को लेकर दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने हुए हैं उन जगहों से चीन अपने सैनिकों को पीछे हटाने की अपनी प्रतिबद्धता का सम्मान नहीं कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि कुछ सप्ताह पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर की शीर्ष वार्ताओं सहित सैन्य कमांडर स्तर की कई दफे की बातचीत में इस बात पर सहमति बनी कि सीमा पर तनाव एवं गतिरोध कम करने के लिए चीन की सेना अप्रैल की स्थिति में वापस लौटेगी लेकिन इस सहमति के बावजूद पीएलए इन स्थानों से वापस नहीं जा रही है।
सीमा पर भारी हथियारों के साथ मौजूद है PLA
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि 'चीन के सैनिकों ने तनाव कम करने का कोई संकेत नहीं दिया है क्योंकि वे अभी भी पूर्वी लद्दाख के भीतरी इलाकों एवं अग्रिम मोर्चों पर लंबी दूरी की ऑर्टिलरी गन, बख्तर बंद वाहनों एवं वायु रक्षा प्रणाली जैसे भारी हथियारों के साथ मौजूद हैं। इन इलाकों में चीन के 40 हजार सैनिक मौजूद हैं।' रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि पिछले सप्ताह दोनों देशों के कोर कमांडरों के बीच अंतिम चरण की वार्ता संपन्न हुई इसके बाद भी सीमा पर तनाव कम करने की प्रक्रिया में कोई प्रगति नहीं देखी गई है। इन इलाकों में कोई जमीनी बदलाव नहीं हुआ है।
बड़ी संख्या में ढांचे का निर्माण किया
पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में हॉट स्प्रिंग एवं गोगरा पोस्ट दो ऐसे स्थान हैं जिन्हें लेकर टकराव की स्थिति सबसे ज्यादा है। सामरिक रूप से अहम इन दोनों जगहों पर चीन के सैनिकों ने बड़ी संख्या में ढांचे का निर्माण किया है। सूत्रों का कहना है कि चीन को डर है कि हॉट स्प्रिंग एवं गोगरा इलाके से उसके पीछे हट जाने पर भारत सामरिक रूप से अहम चोटियों को अपने नियंत्रण में ले लेगा।