भारत-चीन के बीच सीमा पर तनातनी के बीच चीन ने बड़ा कदम उठाया है बताया जा रहा है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के लगभग 10,000 सैनिक पूर्व लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानि (LAC) से वापस चले गए हैं बताया जा रहा है कि वे अग्रिम पंक्ति के सैनिक नहीं हैं, बल्कि पीछे के क्षेत्र में हैं। टैंकों और बंदूकों की संख्या में कमी की कोई रिपोर्ट नहीं है, पीएलए के पास इस क्षेत्र में लगभग 300-350 टैंक हैं।
बताया जा रहा है कि लद्दाख में पारा जीरो से नीचे है और गिरते तापमान के चलते चीन ने ऐसा किया है कहा जा रहा है कि बेहद ठंड और कठिन हालात की वजह से चीनी सैनिक भारतीय बार्डर से हटे हैं, हालांकि इनकी वापसी आने वाले समय में हो सकती है और चीन का फिलहाल ये फौरी कदम हो सकता है ऐसा भी कहा जा रहा है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने पुष्टि की कि ट्रकों में सैनिकों के वापस जाने की दृश्य पुष्टि हुई है, लेकिन टैंक और तोपखाने के टुकड़ों की संख्या में कमी की कोई रिपोर्ट नहीं है। पीएलए के पास पूर्वी लद्दाख के विभिन्न भागों में लगभग 350 टैंक हैं, विशेष रूप से देपसांग में और स्पंगगुर त्सो क्षेत्र के पास। पीएलए के पास क्षेत्र में बहुत सारे तोपखाने और वायु रक्षा उपकरण हैं।
पूर्वी लद्दाख में करीब 50 हजार PLA जवान तैनात
क्षेत्र में अभी भी एक प्रमुख बिल्डअप है और टियर 1 और टियर 2 एयरफील्ड में लड़ाकू विमानों की संख्या बहुत अधिक है। हाल ही में भारतीय और चीनी अधिकारियों के बीच एक कार्य प्रणाली की बैठक हुई है। लेकिन कमांडरों के बीच कोई बैठक नहीं हुई है, हालांकि दोनों पक्ष अलग-अलग स्तरों पर संपर्क में हैं। बताते हैं कि पूर्वी लद्दाख में करीब 50 हजार पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के जवान तैनात हैं।
चीन ने LAC पर अपने सैनिकों का जमावड़ा बढ़ा दिया था
गौरतलब है कि लद्दाख में पिछले साल अप्रैल मई से ही चीन ने LAC पर अपने सैनिकों का जमावड़ा बढ़ा दिया था।वहीं भारत ने भी एहतियात के तौर पर बड़ी संख्या में अपने सैनिकों को तैनात कर दिया था।
हालांकि एलएसी पर फ्रंट लाइन इलाकों में कई मोर्चों पर भारत और चीन दोनों देशों के जवान आमने सामने तैनात हैं। एलएसी पर जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए दोनों देशों के बीच लगातार बातचीत जारी थी।सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए CDS बिपिन रावत लद्दाख पहुंचे
प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत सेना की समग्र तैयारी की समीक्षा के लिए लद्दाख के दौरे पर हैं, जहां पिछले आठ महीने से जारी गतिरोध के बीच भारत और चीन के हजारों सैनिक ऊंचे पहाड़ों पर तैनात हैं। जनरल रावत को लेह स्थित 14 वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन और सेना के दूसरे वरिष्ठ अधिकारी पूर्वी लद्दाख में सुरक्षा की स्थिति पर अवगत कराएंगे। प्रमुख रक्षा अध्यक्ष ने लद्दाख के इस दौरे के पहले अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास दिंबाग घाटी, लोहित सेक्टर और सुबंसिरी घाटी में विभिन्न चौकियों समेत महत्वपूर्ण ठिकानों का दौरा किया था। जनरल रावत के मंगलवार को लद्दाख से कश्मीर की यात्रा करने की संभावना है।