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बातचीत में उलझाकर चीन ने फिर की दगाबाजी, लद्दाख के बाद अब पूर्वोत्तर; आखिर चाहता क्या है ड्रैगन?

Updated Jan 25, 2021 | 12:24 IST

चीन ने एक बार फिर ऐसी हरकत की है जिसका अंदेशा शायद पहले से ही था। इस बार चीन ने पूर्वोत्तर में घुसपैठ की कोशिश की है लेकिन उसके इरादों को ध्वस्त किया है भारतीय सैनिकों ने

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बातचीत में उलझाकर फिर से दगाबाजी, आखिर चाहता है क्या है चीन
मुख्य बातें
  • चीन एक तरफ बातचीत तो दूसरी तरफ करता है घुसपैठ
  • भारत को बातचीत में उलझाकर सीमांत जगहों पर कब्जा करने की रही है पुरानी आदत
  • इस बार फिर भारतीय सैनिकों ने सिक्कम में उसके इरादों को किया चकनाचूर

नई दिल्ली: चीन के दोगलेपन का इतिहास काफी लंबा है और समय-समय पर इसके कई उदाहरण देखने को मिलते रहे हैं। सीमा विवाद को लेकर एक तरफ वह भारत को बातचीत की टेबल पर उलझाए रखना चाहता था दो दूसरी तरफ अपनी चालबाजी से भी बाज नहीं आता है। चीन उकसाता है फिर बातचीत का नाटक करता है और जैसे ही मौका मिलता है तो भारत जमीन पर कब्जा करने की नियत से बॉर्डर को पार करने की कोशिश करता है। यही हरकत उसने एक बार फिर की है और इस बार उसने एक बार फिर पूर्वोत्तर में मोर्चा खोला है।

दोगलापन

डोकलाम हो या गलवान हर तरफ चीन का दोगलापन साफ नजर आता है और अब सिक्किम में उसने भी इसी तरह की हरकत की है। खबर के मुताबिक चीनी सैनिकों ने पिछले हफ्ते सिक्किम के नाकू ला में घुसपैठ की नाकाम कोशिश की और इस दौरान भारतीय जवानों ने जब उन्हें रोकने की कोशिश की तो दोनों पक्षों में जबरदस्त झड़प हुई जिसके बाद भारतीय सैनिकों ने उन्हें वहां से खदेड़ दिया। इस झड़प में दोनों तरफ के सैनिकों को चोट आई है। फिलहाल हालात तनावपूर्ण जरूर बने हुए हैं लेकिन काबू में हैं।

2017 के बाद तीन बार घुसपैठ
पूर्वोत्तर में यह 2017 के बाद तीसरी बाद हुआ है जब इस तरह की झड़प हुई है। 2017 में डोकलाम स्थित टाई जंक्शन पर जब चीनी सैनिकों ने भारतीय सरजमीं में घुसपैठ की कोशिश की थी तो हमारे सैनिकों ने उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया था और दोनों देशों के बीच हालात तनावपूर्ण हो गए थे। उसके बाद युद्ध जैसे हालात हो गए थे और 73 दिन तक चले तनाव का अंत में समाधान निकला और चीनी सैनिक पीछे हटने को तैयार हो गए। उसके बाद 5 मई 2020 को नाकूला दर्रे में भी दोनों देशों के बीच झड़प हुई थी और कुछ सैनिकों के घायल होने की खबर भी सामने आई थी।

बातचीत का ढकोसला

गलवान में हुई हिंसक झड़प के बाद चीन के साथ लगातार नौ दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन अभी तक हल नहीं निकला है। लद्दाख में पड़ रही भीषण ठंड के बावजूद जवान चीन के सामने डटे हुए हैं वहीं पूर्वोत्तर में भी यही हालात है जहां चीन की हर हरकत पर नजर रखी जा रही है। चीन की जो रणनीति साफ नजर आ रही है उससे साफ है कि वह भारतीय सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व को बातचीत में उलझाए रखना चाहता है और फिर चुपके से पूर्वोत्तर हो या अन्य जगहों पर, वह कब्जा करना चाहता है। लेकिन जिस मजबूती से सेना डटी हुई है उतनी ही मजबूती से नई दिल्ली भी सैनिकों के पीछे खड़ा है जिससे चीन के नापाक मंसूबों पर पानी फिर रहा है और इससे वह चिढ़ा बैठा है। 

रविवार को 16 घंटे तक चली थी बैठक
भारत और चीन की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में गतिरोध वाले बिंदुओं से सैनिकों को हटाने पर रविवार को नौवें दौर की वार्ता हुई जो करीब 16 घंटे तक चली। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की तरफ मोल्दो में आयोजित कोर कमांडर स्तर की यह बैठक सुबह करीब साढ़े 10 बजे शुरू हुई और यह सोमवार तड़के करीब ढाई बजे खत्म हुई। इस बैठक का कोई ठोस नतीजा नहीं निकला और भारत ने चीन को दो टूक कहा कि उसे पीछे हटना ही होगा।

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