- राज्यसभा से पास हुआ नागरिकता संशोधन विधेयक। लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका है बिल
- संसद के अंदर और बाहर विधेयक का विरोध किया जा रहा है। पूर्वोत्तर में कई जगह प्रदर्शन हो रहे हैं।
- विपक्ष नागरिकता संशोधन विधेयक को मुस्लिम विरोधी बता रहा है। सरकार का कहना है कि ये किसी के खिलाफ नहीं है।
नई दिल्ली। लोकसभा से पारित हो चुका नागरिकता संशोधन बिल आज राज्यसभा से भी पास हो गया। इस तरह संसद से ये विधेयक पास हो गया है। बिल के पक्ष में 125 और विरोध में 105 वोट पड़े। बिल पर लंबी बहस हुई, जिसके बाद गृह मंत्री अमित शाह ने बहस पर जवाब दिया। उन्होंने कहा कि यह विधेयक नागरिकता प्रदान करने के लिए है, किसी की नागरिकता लेने के लिए नहीं। देश के मुसलमानों को बिल्कुल भी डरने की जरूरत नहीं है।यह विधेयक किसी की भावनाओं को आहत करने या किसी भी समुदाय के लोगों को परेशान करने वाला नहीं है। जो लोग चिंतित हैं कि इस देश के अल्पसंख्यकों के साथ अन्याय होगा, ऐसा नहीं होगा।
इस बिल में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। बिल को संसद की मंजूरी मिलने पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि आज का दिन भारत के संवैधानिक इतिहास का काला दिन है।
इससे पहले बिल को सलेक्ट कमेटी को भेजने का विपक्ष का प्रस्ताव खारिज हो गया। सलेक्ट कमेटी को भेजने के पक्ष में 99 और न भेजने के पक्ष में 124 मत पड़े। शिवसेना ने भी राज्यसभा से वॉकआउट किया। शिवसेना के 3 सांसदों ने वोटिंग से खुद को दूर किया।
देश का विभाजन नहीं होता तो बिल नहीं लाना पड़ता: अमित शाह
करीब 6 घंटे की बहस के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब दिया। उन्होंने कहा, 'बंटवारा ना होता तो आज ये बिल नहीं लाना पड़ता। हम समस्याओं का समाधान करेंगे। मोदी सरकार देश सुधारने आई है। पहले की सरकारों ने समस्याओं का समाधान नहीं किया। हमें पता था कि बिल लाने पर विवाद होगा। अगर यह बिल 50 साल पहले लाया जाता, तो आज स्थिति इतनी गंभीर नहीं होती। बिल के पीछे कोई एजेंडा नहीं है। अल्पसंख्यकों पर तीनों पड़ोसी देशों ने अपना वादा नहीं निभाया, इसलिए ऐसा करना पड़ा। ये बिल हम 2015 में ही लेकर आए थे।'
धार्मिक प्रताड़ना के शिकार लोगों को मिलेगी नागरिकता: शाह
शाह ने कहा, 'सवाल पूछा जा रहा है कि इस बिल में मुस्लिम क्यों नहीं है? मैं आपको बता दूं कि इन तीनों देशों में मुस्लिम अल्पसंख्यक नहीं हैं, इसलिए उन्हें नहीं रखा गया है। बिल में उन्हें रखा है, जो इन देशों में धार्मिक प्रताड़ना के शिकार हैं। देश में अल्पसंख्यकों के साथ कोई भेदभाव नहीं है। हमने 566 मुस्लिमों को नागरिकता दी है। सिर्फ मुसलमान आएंगे, तभी धर्मनिरपेक्षता होगी क्या? हमारी इसलिए कोई तारीफ नहीं कर रहा कि बिल में 6 धर्मों के लोगों को शामिल किया गया है। लेकिन, ध्यान सिर्फ इस बात पर है कि मुस्लिमों को शामिल क्यों नहीं किया जाता है। क्या बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में इस्लाम के अनुयायियों को अल्पसंख्यक कहा जा सकता है? नहीं, जब राज्य का धर्म इस्लाम है, तो मुसलमानों के उत्पीड़न की संभावना कम है।'
पूरा देश जानता है कि विभाजन के पीछे का कारण जिन्ना था और यह उसकी मांग के कारण किया गया था। लेकिन मैं यह पूछ रहा हूं कि कांग्रेस इसके लिए राजी क्यों हुई? यह धर्म के आधार पर क्यों किया गया? शिवसेना ने कल विधेयक का समर्थन किया। महाराष्ट्र की जनता जानना चाहती है कि शिवसेना ने रातों-रात अपना रुख क्यों बदला? सत्ता के लिए कैसे-कैसे रंग बदलते हैं। मुझे आइडिया ऑफ इंडिया मत समझाइए, हम तो इसी देश में जन्मे हैं, इसी देश में मरेंगे।
एंटी मुस्लिम नहीं है CAB: अमित शाह
उन्होंने कहा, 'जावेद अली खान (समाजवादी पार्टी) ने कहा, 'हम मुस्लिम मुक्त बन जाएंगे।' जावेद अली खान साहब अगर आप भी चाहोगे तब भी ये देश 'मुस्लिम मुक्त' नहीं होगा। न तो CAB मुस्लिम विरोधी है, न ही अनुच्छेद 370 हटाना मुस्लिम विरोधी है, ट्रिपल तलाक बिल भी मुस्लिम विरोधी नहीं है। ट्रिपल तलाक देश की करोड़ों मुस्लिम महिलाओं को अधिकार देने वाला विधेयक है।'
अमित शाह ने कहा- कांग्रेस नेताओं और पाकिस्तान के बयान एक समान हैं। कल जो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा आज वो इस सदन में बोला गया। एयर स्ट्राइक के समय भी ऐसा ही हुआ। पाकिस्तान में 428 में से सिर्फ 20 मंदिर बचे। अफगानिस्ता में 2 लाख में से 500 सिख बचे हैं। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक 27% से घटकर 3% रह गया है। हिंदू-सिख, ईसाइयों का धर्म बदला जाता है। बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार हुआ। बिल से किसी की भावना को चोट नहीं पहुंचेगी।
केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री, रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'हमारे सरकार के सभी बिलों को सदन में लाए जाने से पहले उन्हें कानून और विधायी विभाग द्वारा मंजूरी दी जाती है।'
बिल में सिर्फ 3 देशों को ही क्यों जोड़ा गया: आजाद
कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद ने कहा, 'भूटान को बिल में क्यों नहीं जोड़ा गया है। श्रीलंका के हिंदू क्यों शामिल नहीं है? सिर्फ 3 देशों को ही इस बिल में क्यों जोड़ा गया? मुसलमानों पर भी अत्याचार होता है। अगर बिल सबको मंजूर है तो ये विरोध-प्रदर्शन क्यों हो रहा है? पूर्वोत्तर के राज्य जल रहे हैं और आप कह रहे हैं कि देश खुश है।'
विपक्ष CAB और NRC में कंफ्यूज है: स्वामी
भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कि विपक्ष सीएबी और एनआरसी के बीच भ्रमित है। उनमें से अधिकांश ने NRC का विरोध किया और अब वे CAB का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'अनुच्छेद 14 नागरिकता संशोधन विधेयक के कार्यान्वयन की अनुमति देता है, क्योंकि इसे अकेले नहीं पढ़ा जा सकता है। अनुच्छेद को कई फैसलों के साथ देखा जाना चाहिए। अदालत ने कुछ लोगों को केस के आधार पर विशेष उपचार की अनुमति दी है।'
BJD के प्रसन्ना आचार्य ने कहा, 'हमारा रुख वही है जो लोकसभा में था। हम बिल का समर्थन कर रहे हैं लेकिन हम चाहते हैं कि बिल में कुछ संशोधन हो जैसे श्रीलंका शामिल हो।'
सलेक्ट कमेटी को भेजा जाए बिल: JDS
जेडीएस के डी कुपेन्द्र रेड्डी ने कहा, 'यह विधेयक इस देश में हमारी धर्मनिरपेक्षता नीति को कमजोर करेगा। मैं इस विधेयक का कड़ा विरोध करता हूं। मेरा सुझाव है कि विधेयक को जांच के लिए संसद की सलेक्ट कमेटी को भेजा जाए।'
AAP ने किया विरोध, YSR कांग्रेस ने दिया समर्थन
आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने कहा, 'मैं इस विधेयक का विरोध कर रहा हूं क्योंकि यह बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान के खिलाफ है। यह संविधान की प्रस्तावना के खिलाफ है। यह महात्मा गांधी और भगत सिंह के सपनों के भारत के खिलाफ है।' वहीं YSR कांग्रेस ने बिल के समर्थन का ऐलान किया है।
'न जानें किस किताब से पढ़कर आए हैं गृह मंत्री'
राज्सभा में कैब पर बहस में चर्चा लेते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि यह समझ के बाहर है कि किस तरह से गृहमंत्री ने कहा कि अगर देश का बंटवारा धर्म के आधार पर नहीं हुआ होता तो कैब लाने की जरूरत नहीं पड़ती, पता नहीं गृहमंत्री किस किताब से पढ़कर ये सब आए हैं। दो राष्ट्र का सिद्धांत हमारा नहीं था बल्कि सावरकर की देन थी। कपिल सिब्बल ने कहा कि गृहमंत्री अपने उस आरोप को वापस लें जिसमें उन्होंने कहा कि कांग्रेस एक राष्ट्र में भरोसा नहीं करती है, हकीकत यह है कि आपलोग भरोसा नहीं करते हैं।
कैब में विपक्ष की तरफ 43 संशोधन का प्रस्ताव
नागरिकता संसोधन विधेयक यानि मौजूदा कैब में अलग अलग दलों ने 43 संशोधन को रखा है। इसमें से चार संशोधन कैब को सिलेक्ट कमेटी को भेजने से संबंधित है।
CAB के विरोध में पीडीपी
पीडीपी सांसद मीर एम फैय्याज ने कहा कि उनकी पार्टी पूरी तरह से नागरिकता संशोधन बिल का विरोध करती है। जब से यह सरकार आई है और तीन तलाक, अनु्च्छेद 370 जैसे बिल के जरिए मुसलमानों को निशाना बनाया गया है। यह सरकार जबसे बनी है, मुसलमानों के पीछे पड़ी है।
शिवसेना का मोदी सरकार पर प्रहार
राज्यसभा में शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने नागरिकता संशोधन विधेयक पर मोदी सरकार की धज्जियां उड़ा दी। उन्होंने कहा कि वो मंगलवार से सुन रहे हैं कि जो इस बिल का समर्थन नहीं करेगा वो द्रेशद्रोही है और जो बिल का समर्थन करेंगे वो देशप्रेमी हैं। लेकिन वो कहना चाहते हैं कि शिवसेना को किसी से राष्ट्रवाद और हिंदुत्व पर सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। जिस स्कूल में आप पढ़ते हो हम उस स्कूल के हेडमास्टर हैं। हमारे स्कूल के हेडमास्टर बाला साहेब ठाकरे, अटल जी, श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी थे हम उन सब लोगों को मानते हैं।
'हिंदुत्व के एजेंडे को मोदी सरकार बढ़ा रही है आगे'
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा कि मौजूदा मोदी सरकार इस बिल के जरिए हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने का काम कर रही है। यह दुखद दिन है, वो पूरी शिद्दत से मानते हैं इस बिल का समाप्त कर देना चाहिए।
'संविधान की मूल भावना को चोट'
लोकसभा की तरह ही राज्यसभा में भी कांग्रेस ने इस बिल पर सरकार को घेरा। राज्यसभा में आनंद शर्मा ने कहा कि नागरिकता संशोधन बिल सीधे तौर पर संविधान पर हमला है। यह भारतीय गणराज्य पर हमला है। इससे भारत की मूल भावना प्रभावित हुई है। इसकी वजह से नैतिकता की भी पराजय हुई है।
'असम के मूल लोगों के हितो के साथ समझौता नहीं'
अमित शाह ने कहा कि 1985 में असम समझौता हुआ जिसमें वहां के मूल लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए क्लॉज 6 का उपबंध था। वो एनडीए सरकार की तरफ से हर किसी को भरोसा देते हैं कि इस क्लॉज की समीक्षा के लिए कमेटी बनेगी जो विचार करेगी और इसके तहत असम में मूल लोगों के अधिकारों की रक्षा होगी।
राज्यसभा में अमित शाह, यह नरेंद्र मोदी की सरकार है
गृहमंत्री ने कहा कि भारत में रहने वाले किसी भी मुसलमान को डरने की जरूरत नहीं है। अगर आप को कोई डराने की कोशिश कर रहा है तो डरिए मत, यह नरेंद्र मोदी की सरकार है जो संविधान के मुताबिक काम कर रही है, अल्पसंख्यकों को पूरी सुरक्षा मुहैया करायी जाएगी।
'मुसलमानों के खिलाफ नहीं है कैब'
अमित शाह ने कहा कि जानबूझकर ये भ्रम फैलाया जा रहा है कि कैब मुसलमानों के खिलाफ है। लेकिन वो विरोध करने वालों से पूछना चाहते हैं कि आखिर यह बिल मुसलमानों के खिलाफ कैसे है। मुसलमान भारत के नागरिक हैं और उनके खिलाफ न तो भेदभाव किया जा रहा है और न किया जाएगा।
'लोकसभा जैसा ही होगा राज्यसभा में स्टैंड'
बीएसपी की मुखिया मायावती ने कहा कि वो एक बार फिर कहती हैं कि नागरिकता संशोधन विधेयक पूर्णतः विभाजनकारी व असंवैधानिक है। इसकी वजह से ही बीएसपी ने लोकसभा में इसके विरोध में अपना मत दिया है और आज राज्यसभा में भी यही स्टैंड रहेगा।
'जेडीयू नेता कर रहे हैं ड्रामा'
आरजेडी के तेजस्वी यादव ने कहा कि लोकसभा में बिल पारित होने के बाद जेडीयू के कुछ नेता अब विरोध कर रहे हैं यह सब ड्रामा है। जेडीयू में किसी भी नेता के पास इतनी साहस नहीं है कि वो नीतीश कुमार के खिलाफ जाएं। सत्ता में बने रहने के लिए नीतीश कुमार जी ने इस बिल पर समझौता कर लिया है।
'सुनहले अक्षरों में लिखा जाएगा कैब'
सूत्रों का कहना है कि बीजेपी संसदीय दल की बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि नागरिकता संशोधन बिल पर कुछ दल पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो मामले देशहित से जुड़े हुए हैं उन विषयों पर विपक्ष को जिम्मेदारी से बोलना चाहिये।
'आसानी से पारित करा लेंगे बिल'
राज्यसभा की तस्वीर को देखें को एक बात स्पष्ट है कि मोदी सरकार इस सदन में बहुमत से पीछे है, तो सवाल ये है कि क्या नागरिकता संशोधन बिल पारित हो पाएगा। जानकारों का कहना है कि आपने देखा होगा कि तीन तलाक और अनुच्छेद 370 भी राज्यसभा से पास हो चुका था। ये हो सकता है कि छोटे छोटे दल इस समय भी अंतिम समय में सदन की कार्यवाही का बहिष्कार करें और यदि ऐसा होता है को सरकार को बिल पारित कराने में किसी तरह की दिक्कत नहीं आएगी।
संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि नागरिकता संशोधन बिल को दोपहर में 12 बजे राज्यसभा के पटल पर रखा जाएगा और इस बिल को सरकार आसानी से पारित करा लेगी।पीएम नरेंद्र मोदी का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन बिल को सुनहले अक्षरों में लिखा जाएगा। इस बिल से उन लोगों की मुरादें पूरी होंगी जो धार्मिक आधार पर प्रताणना का सामना करने के बाद यहां आए थे।