नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा से पारित हो गया है, जिसे अब राज्यसभा में पेश किया जाना है। लोकसभा में इसके पक्ष में 311 वोट पड़े, जबकि विरोध में सिर्फ 80 वोट पड़े। लोकसभा में इस पर करीब 7 घंटे तक चली लंबी बहस के दौरान सत्ता पक्ष और प्रति पक्ष के बीच तीखी नोंकझोंक देखने को मिली। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इसे देश को बांटने वाला विधेयक करार दिया तो इसमें संशोधन के सुझाव भी दिए, पर ये सभी एक-एक कर गिर गए।
लोकसभा में सोमवार को नागरिकता संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान ओवैसी की ओर से इसमें तीन संशोधन सुझाए गए, पर सदन के पटल पर यह खारिज हो गया। ओवैसी की ओर से इस विधेयक में बदलाव के लिए संशोधन संख्या 23, 24 और 25 पेश किए गए, पर ये तीनों खारिज हो गए।
लोकसभा में चर्चा के दौरान ओवैसी ने विधेयक का जोरदार विरोध करते हुए यह भी कहा था कि यह हिटलर के कानून से भी बदतर है। उन्होंने विधेयक की कॉपी भी फाड़ दी थी, जिसे बाद में लोकसभा की कार्यवाही से निकाल दिया गया।
ओवैसी ने इसे मुसलमानों के साथ भेदभाव करने वाला विधेयक करार देते हुए इसके संकेत भी दिए कि वह इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने संविधान की आत्मा के साथ खिलवाड़ किया है, जो देश के स्वतंत्रता सेनानियों और इसकी बुनियाद तैयार करने वालों का अपमान है।
उन्होंने कहा कि संविधान में नागरिकता को धर्म से नहीं जोड़ा गया। बीजेपी सरकार इसकी धज्जियां उठाते हुए अपनी विचारधारा पर अमल कर रही है, न कि संविधान पर। एआईएएमआईएम नेता ने इसे संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन बताया।