- सेना प्रमुख के करीबी सूत्रों ने कहा कि जनरल रावत के भाषण में सीएए का जिक्र नहीं
- कश्मीर के संदर्भ में अपनी बात रख रहे थे सेना प्रमुख जनरल रावत
- प्रदर्शन का जिक्र करने पर लेफ्ट एवं कांग्रेस नेताओं ने सेना प्रमुख पर साधा निशाना
नई दिल्ली : देश में जारी प्रदर्शनों पर सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के बयान पर विवाद खड़ा होने के बाद सैन्य प्रमुख के करीब सूत्रों ने कहा कि जनरल अपने भाषण में नागरिकता संशोधन विधेयक, किसी राजनीतिक कार्यक्रम अथवा किसी राजनीतिक शख्सियत का जिक्र नहीं कर रहे थे, जैसा कि लेफ्ट, कांग्रेस और एआईएमआईएम के नेता हवाला दे रहे हैं।
सूत्रों ने कहा कि सेना प्रमुख ने अपने भाषण में सीएए के खिलाफ प्रदर्शनों का संदर्भ नहीं दिया बल्कि वह कश्मीर की राजनीतिक स्थिति के संदर्भ में अपनी बात रख रहे थे। सूत्रों ने आगे बताया कि जनरल रावत देश के भविष्य के नागरिकों को संबोधित कर रहे थे जो कि अभी युवा हैं और आने वाले समय में जिनके कंधों पर देश को संभालने का भार होगा। इसलिए जरूरी है कि इन युवाओं का सही मार्ग दर्शन किया जाए।
सेना प्रमुख के करीबी सूत्रों के मुताबिक जनरल रावत ने कहा कि कश्मीर घाटी में युवक जिन्हें अपने नेता मानते थे, उन्हीं लोगों ने सबसे पहले उन्हें गुमराह किया। सेना प्रमुख ने गुरुवार को सिक्स सिग्मा हेल्थकेयर एक्सीलेंस अवार्ड्स 2019 को संबोधित किया और इस दौरान उन्होंने अपने विचार रखे।
क्या कहा सेना प्रमुख ने
सिक्स सिग्मा हेल्थकेयर एक्सेलेंस अवॉर्ड्स 2019 कार्यक्रम के दौरान सेना प्रमुख ने कहा, 'नेता वे होते हैं जो लोगों को सही दिशा में मार्गदर्शन करते हैं, वे नहीं जो लोगों को गलत दिशा में जाने के लिए प्रेरित करते हैं जैसा कि हाल ही में हमने देश के कुछ यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में देखा। हाल ही में कई यूनिवर्सिटी और कॉलेजों ने बड़ी संख्या में लोगों को शहरों में विरोध-प्रदर्शन करने के लिए भेजा। ये नेतृत्व नहीं है। एक नेता वह होता है जो आपको सही दिशा में गाइड करता है, जो आपको सही सलाह देता है और यह सुनिश्चित करता है कि आप लोगों की रक्षा करें ना कि परवाह करें। इसलिए नेतृत्व एक व्यक्तिगत उदाहरण है और यही हमें सशस्त्र बलों में गर्व की अनुभूति कराता है। भारतीय सेना में हर एक सैनिक अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया है और उसे साबित किया है। मुझे लगता है कि यही हमें लोगों के बीच एक खास स्थान देता है।'
अपने इस भाषण के बाद जनरल रावत विपक्षई नेताओं के निशाने पर आ गए। नेताओं ने जरनल रावत पर राजनीतिक बयानबाजी करने का आरोप लगाया। जनरल रावत 31 दिसंबर को सेना प्रमुख पद से रिटायर होने वाले हैं। ऐसी अटकलें हैं कि उन्हें चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ बनाया जा सकता है। जनरल रावत पर सेना प्रमुख रहते हुए राजनीतिक बयान देने के आरोप लगते रहे हैं।