- पंजाब कांग्रेस के संंबंध में समिति ने आलाकमान को सौंपी रिपोर्ट
- नवजोत सिंह सिद्धू को डिप्टी सीएम या संगठन में बड़ी जिम्मेदारी देने की सिफारिश
- पंजाब राज्य यूनिट में भी बड़े बदलाव की भी सिफारिश
पंजाब कांग्रेस में आपसी कलह को दूर करने के लिए आलाकमान ने तीन सदस्यों वाली समिति गठित की थी। इस समति के सामने जहां नवजोत सिंह सिद्धू पेश हुए वहीं सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह भी हाजिर हुए। दोनों लोगों ने अपनी अपनी बात रखी। सिद्धू ने जहां यह कहा कि सत्य प्रताणित हो सकता है लेकिन पराजित नहीं तो कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी कहा अगले 6 महीने में पार्टी को चुनाव में जाना तो हमें तैयारी करनी होगी। समिति ने कई दिनों मंथन के बाद जो रिपोर्ट सौंपी है उसके मुताबिक कैप्टन की कुर्सी पर किसी तरह का खतरा नहीं है। इसके साथ ही सिद्धू को डिप्टी सीएम की कुर्सी दी जा सकती है लेकिन सवाल यही है कि क्या नवजोत सिंह सिद्धू के लिए यह लड़ाई उनके लिए जीत मानी जा सकती है।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में क्या कहा
सबसे पहले हम समिति द्वारा पेश रिपोर्ट की बात करेंगे। बताया जा रहा है कि समिति मे पंजाब कांग्रेस संगठन में बड़े बदलाव के साथ साथ अध्यक्ष के चेहरे को बदल सकती है। इसके साथ ही नवजोत सिंह सिद्धू के बारे में कहा गया है कि उन्हें नजरंदाज नहीं किया जा सकता है, या तो उन्हें राज्य यूनिट में कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाए या डिप्टी सीएम या पोल कैंपेन कमेटी के चेयरमैन की जिम्मेदारी सौंपी जाए।
जानकारों की खास राय
अगर समिति की रिपोर्ट की बात करें तो कैप्टन अमरिंदर सिंह को राहत है कि उनकी कुर्सी पर किसी तरह का खतरा नहीं है। लेकिन सवाल नवजोत सिंह सिद्धू का है क्या वो समिति की सिफारिशों से संतुष्ट होंगे। क्योंकि अगर उन्हें डिप्टी सीएम बनने का मौका मिलता है तो क्या अमरिंदर सिंह उन्हें काम करने के लिए फ्री हैंड देंगे। जानकार इस मुद्दे पर कहते हैं कि अगर आप पिछले चार वर्ष से अधिक के शासन को देखें तो अमरिंदर को एक के बाद कई चुनौती मिली। लेकिन जिस चतुराई से उन्होंने सामने किया उसका नतीजा सबके सामने है।
पंजाब में कोरोना काल में जब से फतेह किट का मुद्दा गरमाने लगा उसके बाद सिद्धू को खुद के लिए उम्मीद नजर आने लगी। लेकिन जिस तरह से आम आदमी पार्टी के विधायकों को तोड़कर अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस में मिला लिया उसका संदेश सिर्फ इतना नहीं कि विधायकों की संख्या कितनी थी बड़ी बात यह थी कि वो विरोधी दलों को पस्त करने की माद्दा रखते हैं, लिहाजा जब समिति मे अपनी रिपोर्ट सौंपी होगी तो उसके सदस्यों के दिल और दिमाग में यह सब भी जरूर अंकित हुई होंगी।