- कोरोना के मामले भारत में भी तेजी से बढ़ रहे हैं, जहां अब तक इस घातक संक्रमण से 206 लोगों की जान जा चुकी है
- देश में संक्रमण के मामले 6761 हो गए हैं, जिससे कम्युनिटी ट्रांसमिशन का दौर शुरू होने की बातें भी सामने आ रही हैं
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट में भी ऐसा कहा गया, पर क्या वाकई ऐसा है? आखिर सच्चाई क्या है?
नई दिल्ली : कोरोना वायरस दुनियाभर में तबाही मचा रहा है, जिससे अब तक पूरी दुनिया में 1 लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 16 लाख से अधिक लोग संक्रमित हैं। कोरोना के मामले भारत में भी तेजी से बढ़ रहे हैं, जहां अब तक इस घातक संक्रमण से 206 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 6761 हो गए हैं। इस बीच देश में कोरोना वायरस के कम्युनिटी ट्रांसमिशन दौर शुरू हो जने की बातें भी सामने आ रही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट में भी ऐसा कहा गया था, पर सच्चाई आखिर क्या है?
'अभी कम्युनिटी ट्रांसमिशन नहीं'
भारत में कोरोना वायरस के मामले हालांकि तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन सरकार ने इससे साफ इनकार किया है कि देश अब कम्युनिटी ट्रांसमिशन के स्टेज में पहुंच गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने शुक्रवार को नियमित ब्रीफिंग में कहा कि देश में अभी कम्युनिटी ट्रांसमिशन का स्टेज नहीं आया है और यहां बहुत खतरनाक स्थिति नहीं है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि सभी को अलर्ट रहने की जरूरत है, ताकि कोरोना के संक्रमण पर काबू पाया जा सके। संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ने के लिए 'सोशल डिस्टेंसिंग' को काफी अहम माना जा रहा है और सरकार बार-बार इस पर जोर दे रही है कि लोग सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन का पूरी तरह पालन करें।
'WHO की रिपोर्ट गलत'
इस बीच सार्वजनिक सेवा प्रसारक प्रसार भारती ने भी स्पष्ट किया है कि भारत में क्युनिटी ट्रांसमिशन का दौर अभी शुरू नहीं हुआ है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट का हवाला देते हुए प्रसार भारती ने कहा कि यह रिपोर्ट पूरी तरह गलत है और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे स्वीकार भी किया है। डब्ल्यूएचओ ने 9 अप्रैल को अपनी 'सिचुएशन रिपोर्ट में भारत को कोरोना महामारी के 'कम्युनिटी ट्रांसमिशन' स्टेज में दिखाया था, जिसके लिए उसने शुक्रवार (10 अप्रैल) को आधिकारिक तौर पर यह स्वीकार किया कि उससे गलती हुई है।
WHO ने दुरस्त की रिपोर्ट
प्रसार भारती न्यूज सर्विस ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा है कि बाद में रिपोर्ट को दुरुस्त किया गया, जिसमें भारत में 'क्लस्टर ऑफ केसेस' की बात कही गई, न कि 'कम्युनिटी ट्रांसमिशन की। PBNS ने जब इस बदलाव को लेकर WHO से सवाल किया तो संगठन के प्रवक्ता ने 'सिचुएशन रिपोर्ट' के दुरुस्त वर्जन का जिक्र किया।'