- हेलीकॉप्टर हादसे में ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह अकेले जीवित बचे हैं
- वरुण सिंह का बेंगलुरु के कमान अस्पताल में इलाज चल रहा है
- सिंह को तमिलनाडु के वेलिंगटन से बेंगलुरु के कमान अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया था
Group Captain Varun Singh Healh Latest Update: हेलीकॉप्टर हादसे में जीवित बचे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह की हालत गंभीर लेकिन स्थिर है अधिकारियों ने शुक्रवार को यह बताया है।सिंह का बेंगलुरु के कमान अस्पताल में इलाज चल रहा है। अधिकारियों ने कहा कि ग्रुप कैप्टन सिंह की हालत गंभीर लेकिन स्थिर है।
बृहस्पतिवार को सिंह को तमिलनाडु के वेलिंगटन से बेंगलुरु के कमान अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया था।
बुधवार को हुए हादसे में गंभीर रूप से झुलसे ग्रुप कैप्टन को वेलिंगटन स्थित एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था।उन्हें पहले सड़क मार्ग से एम्बुलेंस में सुलूर ले जाया गया और फिर बेहतर इलाज के लिए बेंगलुरु पहुंचाया गया।
बुधवार को, कुन्नूर के पास एमआई-17वी5 हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने से प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (CDS) जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका और 11 अन्य सैन्यकर्मियों का निधन हो गया था। इस हादसे में ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ही जीवित बचे हैं।
पिछले साल एक बड़ी तकनीकी खामी की चपेट में आए लड़ाकू विमान तेजस को संभावित दुर्घटना से सफलतापूर्वक बचा लेने के उत्कृष्ट कार्य के चलते ग्रुप कैप्टन सिंह को अगस्त महीने में शौर्य चक्र से नवाजा गया था।
ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने एक लेटर में लिखा था-'औसत दर्जे का होना ठीक'
तमिलनाडु में बुधवार को हुई हेलीकॉप्टर दुर्घटना में एकमात्र जीवित बचे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने अपने स्कूल के प्रधानाचार्य को सितंबर में लिखे एक पत्र में छात्रों से कहा था कि 'औसत दर्जे का होना ठीक होता है।' ग्रुप कैप्टन सिंह अभी बेंगलुरु के सैन्य अस्पताल में जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। पिछले साल वह एक तेजस विमान उड़ा रहे थे, जिसमें एक बड़ी तकनीकी खामी आ गई थी लेकिन उन्होंने अपने साहस और सूझबूझ का परिचय देते हुए उड़ान के बीच एक भीषण दुर्घटना को टाल दिया, जिसके लिए उन्हें अगस्त में शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था।
'स्कूल में हर कोई उत्कृष्ट नहीं होता और सभी 90 प्रतिशत अंक नहीं ला पाते'
हरियाणा के चंडीमंदिर में स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य को लिखे पत्र में ग्रुप कैप्टन सिंह ने कहा, 'औसत दर्जे का होना ठीक बात है। स्कूल में हर कोई उत्कृष्ट नहीं होता और सभी 90 प्रतिशत अंक नहीं ला पाते। अगर आप ऐसा कर पाते हैं तो यह एक उपलब्धि है उसकी सराहना होनी चाहिए।'
उन्होंने लिखा था-'अपने मन की आवाज सुनिए'
पत्र में कहा गया, 'लेकिन आप ऐसा नहीं कर पाते तो यह मत सोचिये कि आप औसत दर्जे का होने के लिए बने हैं। आप स्कूल में औस्त दर्जे के हो सकते हैं लेकिन इसका कतई मतलब नहीं है कि जीवन में आने वाली चीजें भी ऐसी ही होंगी।' उन्होंने लिखा था, 'अपने मन की आवाज सुनिए। यह कला हो सकती है, संगीत हो सकता है, ग्राफिक डिजाइन, साहित्य इत्यादि। आप जो भी काम कीजिये उसके प्रति समर्पित रहिये, अपना सर्वोत्तम दीजिये। कभी यह सोचकर सोने मत जाइये कि आपने कम प्रयास किया।'