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कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी की नए सेना प्रमुख को सलाह- बातें कम, काम ज्यादा करें

Updated Jan 13, 2020 | 00:31 IST

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में पार्टी नेता अधीर रंजन चौधरी ने नए सेना प्रमुख एमएम नरवाने को सलाह दी है कि वो 'बातें कम और काम ज्यादा' करने पर ध्यान दें।

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अधीर रंजन की नए आर्मी चीफ को सलाह- बात कम, काम ज्यादा करें
मुख्य बातें
  • कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी की सेना प्रमुख नरवने को कड़ी नसीहत
  • चौधरी बोले- सेना प्रमुख को बाते कम और काम ज्यादा करने पर ध्यान देना चाहिए
  • जनरल नरवने ने अपने हाल ही में कहा था कि यदि संसद चाहे, तो सेना पीओके को भारत में मिलाने के लिए पूरी तरह से है तैयार

नई दिल्ली: नए सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवने ने हाल ही में कहा था कि आदेश मिलने पर पाक अधिकृत कश्मीर वापस लेने के लिये तैयार हैं। सेना अध्यक्ष के इस बयान के एक दिन बाद लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने रविवार को जनरल नरवाने को हिदायत देते हुए कहा कि वह 'बातें कम, काम ज्यादा' करें। इतना ही नहीं चौधरी ने सेनाध्यक्ष से सार्वजनिक भाषण देने की बजाय पीओके के बारे में मुख्य रक्षा कर्मचारी (सीडीएस) या प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ बात करने का अनुरोध भी किया।

अधीर रंजन चौधरी ने ट्वीट कर कहा, 'नए सेना प्रमुख, संसद ने 1994 में ही पीओके पर सर्वसम्मत से प्रस्ताव पारित किया था, सरकार कार्रवाई करने के लिये स्वतंत्र है और निर्देश दे सकती है। अगर आप पाक अधिकृत कश्मीर में कार्रवाई करने के इतने इच्छुक हैं तो मैं सुझाव दूंगा कि आप सीडीएस और पीएमओ इंडिया से बात करें। बातें कम, काम ज्यादा।'

अधीर रंजन के इस बयान का ट्विटर पर जमकर विरोध हो रहा है। अधीर रंजन पहले भी कई विवादित बयान दे चुके हैं। संसद की कार्यवाही के दौरान उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लेकर भी विवादित बयान दिया था। इतना ही नहीं उन्होंने कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने को संयुक्त राष्ट्र से भी जोड़ दिया था।

गौर करने वाली बात ये है कि चौधरी की यह प्रतिक्रिया कांग्रेस के उस बयान के एक दिन बाद आई है जिसमें उसने कहा था कि वह सेना पर टिप्पणी नहीं करती। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा  ने सेना प्रमुख द्वारा पीओके को लेकर की गई टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर कहा था कि यह क्षेत्र भारत का अभिन्न हिस्सा था और संसद के दोनों सदनों में ऐसा संकल्प व्यक्त किया गया था।

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