एक ऐसे वक्त में जब देश आजादी की 75वीं सालगिरह मना रहा है। उस वक्त आजादी की विरासत पर सियासत भी शुरू हो गई है। देश की दोनों बड़ी पार्टी कांग्रेस और बीजेपी आजादी के इतिहास को अपने-अपने तरीके से लिखने का फैसला किया है। सत्ताधारी दल भाजपा इसे अमृत महोत्सव के तौर पर मना रही है। हाल ही में ICHR के कार्यक्रम के पोस्टर से पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की तस्वीर गायब थी।
बहरहाल देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस ने भी आजादी के 75 साल और उसके इतिहास को लेकर साल भर कार्यक्रम करने का फैसला किया है। इस बाबत कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हाल ही में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में एक कमिटी का गठन किया था। इस कमिटी में पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार, ए के एंटोनी, गुलाम नवी आजाद, अम्बिका सोनी , भूपिंदर सिंह हूड्डा सहित कई सदस्य थे। आज इस कमिटी की पहली बैठक मनमोहन सिंह के घर पर हुई।
सूत्रों के मुताबिक आज हुई पहली बैठक अगले एक साल में होने वाले कार्यक्रम की रूप रेखा तैयार की गई। कमिटी के कन्वेनर मुकुल वासनिक को ये जिम्मेदारी दी गई कि वो कमिटी के सदस्यों के सुझाव को संकलित कर एक ड्राफ्ट बनाए। ताकि उसको अगले बैठक में मंजूरी देकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा जा सके।
आज की बैठक के बाद पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा कमिटी ने फैसला किया है कि देश भर के स्वतंत्रता सेनानियों की जानकारी इकट्ठा कर एक एनसाइक्लोपीडिया तैयार किया जाएगा। इसमें सभी जाति, धर्म, सम्प्रदाय के लोग शामिल होंगे। साथ ही कमिटी ने ये भी फैसला किया है कि स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थानों जैसे साबरमती आश्रम, चंपारण, दांडी मार्च से जुड़े स्थान, पर कार्यक्रम करेगी। कमिटी के सदस्यों ने ये भी सुझाव दिया कि स्वाधीनता आंदोलन के दौरान जिन लोगों ने ब्रिटिश साम्राज्य का साथ दिया था उनको जनता के सामने बेनकाब किया जाए। सदस्यों ने कहा कि ब्रिटिश ने जाति, धर्म के नाम पर देश को बांटा, इसलिए साथ देने वालों को भी एक्सपोज करना जरूरी है।
साथ ही आज की बैठक में ये भी फैसला किया गया कि एक साल तक चलने वाला कार्यक्रम राष्ट्रीय स्तर के साथ सभी प्रदेश और जिला मुख्यालय में भी किया जाए। इसके लिए पार्टी सांस्कृतिक, राजनीतिक और सामाजिक कार्यक्रम करेगी। राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा सेमिनार के आयोजन की भी योजना बनाई जा रही है।
कुल मिलाकर चाहे वो बीजेपी हो या कांग्रेस, आजादी के विरासत को अपने सियासी फायदे के लिए इस्तेमाल करना चाहती है। इसके लिए दोनों ही दल इतिहास की व्यख्या भी अपने अनुसार करना चाहती है। दोनों ही दल इस बात को साबित करने में लगे हैं कि वो स्वाधीनता आंदोलन के असली वारिस हैं।