'सवाल पब्लिक का' में चर्चा हुई कि यूपी विधानसभा में नमाज पढ़ने के लिए एक अलग से कमरे की मांग की गई। उसके पहले झारखंड में ऐसा कमरा अलॉट कर दिया गया। उसके बाद यूपी में समाजवादी पार्टी के एक विधायक ने स्पीकर से अलग से नमाजी कमरा देने की मांग की है। सपा विधायक इरफान सोलंकी ने कहा कि बहुत बार ऐसा होता है किसी विधायक का सवाल लगा हुआ है और उसी समय पर मान लीजिए अजान का समय है और वो ना तो सवाल छोड़ सकता है ना नमाज छोड़ सकता है। नमाज, पूजा ये सब आस्था का विषय हैं और मेरा मानना ये है कि जहां आस्था की बात है वहीं बड़े-बड़े इंटरनेशनल या डोमेस्टिक एयरपोर्ट में भी छोटा सा प्रेयर रूम बना दिया गया है। ताकि वहां लोग इबादत कर सकें और आगे बढ़ सकें। ये अच्छा काम है तो अगर विधानसभा अध्यक्ष जी चाहें तो इसपर विचार भी कर सकते हैं और एक कमरा बना देने से ना कोई हानि होगी ना किसी को तकलीफ होगी।
अब सवाल पब्लिक का है
- संविधान में जब सब समान...एसेंबली में नमाजी कमरे की क्यों डिमांड?
- एसेंबली में 'नमाजी रूम' हो...अरदास,भजन का कमरा क्यों नहीं?
- नमाजी कमरे की मांग क्या यूपी चुनाव से पहले ध्रुवीकरण की राजनीति है?
NCERT की नागरिक शास्त्र यानी CIVICS की किताब है। क्लास 8 के चैप्टर 2 पेज नंबर 22 में सेक्युलरिज्म को लेकर एक जिक्र है।
NCERT की किताब में 'धर्म निरपेक्षता की समझ'
कहानी सीमापुरी के एक सरकारी स्कूल की है। स्कूल में पढ़ने वाली मासूम बच्ची अपने टीचर से कह रही है कि अगले महीने एक बहुत बड़ा त्योहार आ रहा है। हमने कभी अपने स्कूल में इस त्योहार को क्यों नहीं मनाया। क्या इस बार मनाएं? टीचर मुस्कुराते हुए जवाब देता है कि नहीं। ऐसा नहीं हो सकता। हमारा सरकारी स्कूल है। हम किसी एक धर्म को महत्व नहीं दे सकते। निजी स्कूल जो चाहे करें। सरकारी स्कूल अपनी चारदीवारी के भीतर कोई भी धार्मिक आयोजन नहीं कर सकते।