- साल 2018 में जब कांग्रेस की सरकार बनी थी, उस वक्त मुख्य मंत्री पद के 4 दावेदार थे।
- लेकिन आलाकमान ने भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री पद की कमान सौंपी।
- भूपेश बघले राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं।
Chattisgarh Congress: करीब एक साल पहले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस.सिंह देव की बीच चल रही खींचतान, लगता है अब निर्णायक मोड़ पर आ गई है। कम से कम पंचायती राज मंत्री पद से इस्तीफा देकर, उन्होंने आलाकमान को संकेत दे दिया है कि अब कुछ करने का समय आ गया है। और वह ज्यादा समय तक इंतजार नहीं करेंगे। सूत्रों के अनुसार उन्होंने आलाकमान से मिलने के लिए समय भी मांगा है। सिंहदेव की यह कदम इसलिए भी कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा सकता है, क्योंकि अगले साल 2023 में वहां विधाानसभा चुनाव होने वाले हैं।
चार पेज के इस्तीफे से मिले कई संकेत
टीएस सिंह देव ने कहा कि मुझे लगने लगा था कि मैं जनता के अनुसार काम नहीं कर सकता, इसलिए मैंने इस्तीफा देने का फैसला किया और मैंने इस बारे में सीएम को लिखा। मैंने पार्टी से इस्तीफा नहीं दिया है, मैंने अभी अपने पद से इस्तीफा दिया है। मुख्यमंत्री को लिखे अपने त्याग पत्र में टीएस सिंह देव ने दावा किया था कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बेघर लोगों के लिए एक भी घर नहीं बनाया गया था, क्योंकि बार-बार अनुरोध के बावजूद धन आवंटित नहीं किया गया था। उन्होंने यह भी कहा है कि वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए चुनाव घोषणा पत्र के अनुसार विभाग के लक्ष्यों को पूरा करने में वह असमर्थ थे। सिंहदेव ने यह भी साफ किया है कि वह स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, बीस सूत्री कार्यान्वयन और वाणिज्यिक कर (जीएसटी) विभागों के मंत्री के रूप में काम करते रहेंगे।
साफ है कि सिंहदेव ने कांग्रेस नहीं छोड़ने की बात कहकर यह संदेश दिया है, कि वह पार्टी से कोई बगावत नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा अपने पत्र में जिस तरह उन्होंने काम नहीं कर पाने की बात कही है, वह निश्चित तौर पर बघेल और अफसरशाही को निशाना बना रहे हैं।
एक साल से चल रही है खींचतान
असल में भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के बीच खींचतान पिछले एक साल से चल रही है। और उसकी वजह तथाकथित वह फॉर्मूला है। जिसके अमल में नहीं लाए जाने से वह बगवाती तेवर दिखा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार साल 2018 में जब कांग्रेस की सरकार बनी थी, उस वक्त मुख्य मंत्री पद के 4 दावेदार थे। भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव, ताम्रध्वज साहू और चरणदास महंत अपनी उम्मीदवारी लेकर आलाकमान के पास पहुंचे थे। और उस लड़ाई में सत्ता भूपेश बघेल के हाथ में आई। और ऐसा कहा जाता है कि ढाई-ढाई साल का फार्मूला तय हुआ। जिसके आधार पर जून 2021 में भूपेश बघेल के 2.5 साल पूरे हो गए और उसके बाद मुख्य मंत्री की कुर्सी पर टीएस.सिंहदेव की बारी थी। लेकिन पिछले एक साल से कई कोशिशों के बावजूद वह फॉर्मूला लागू नहीं हो पाया।
इस बीच साइडलाइन करने का आरोप
बीते अगस्त से यह मामला आलाकमान के पाले में हैं। लेकिन भूपेश बघेल को गांधी परिवार खास तौर से राहुल गांधी का करीबी माना जाता है। ऐसे में सिंहदेव बार-बार दिल्ली आकर भी आलाकमान को अपने पक्ष में राजी नहीं कर पाए है। और इस बीच छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल न केवल अपनी स्थिति मजबूत करते जा रहे हैं, बल्कि उन पर ऐसे आरोप भी लगे हैं कि उनके समर्थक सिंहदेव को साइडलाइन कर रहे हैं। खैर एक बार फिर सिंहदेव ने नाराजगी दिखाई है, अब देखना है कि उनके इस्तीफा का दाव कितना कारगर होता है।