- पंजाब में अगले साल होने हैं विधानसभा चुनाव, राज्य में विस की 117 सीटें
- पंजाब कांग्रेस में कैप्टन अमरिंदर-नवजोत सिंह सिद्धू में चल रहा है टकराव
- पिछले दिनों दिल्ली में दोनों नेताओं की मल्लिकार्जुन खड़गे से हुई मुलाकात
चंडीगढ़ : कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक एवं बातचीत के बाद भी पंजाब कांग्रेस नेताओं के बीच कलह शांत होता नहीं दिख रहा है। कुछ दिनों पहले एआईसीसी की ओर से नियुक्त मल्लिकार्जुन खड़के के अगुवाई वाले तीन सदस्यीय पैनल ने राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के साथ अलग-अलग बात की लेकिन ऐसा लगता है कि दोनों नेता एक-दूसरे के साथ आने के लिए तैयार नहीं हैं। दोनों नेता अपने मतभेद बुलाकर अगर साथ नहीं आए और एक दूसरे का सहयोग नहीं किया तो विधानसभा चुनावों में पंजाब कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है। दोनों नेताओं के बीच जारी टकराव पार्टी के हित में नहीं माना जा रहा है।
कैप्टन के अधीन काम नहीं करना चाहते सिद्धू
रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सिद्धू केंद्रीय नेतृत्व को यह स्पष्ट कर चुके हैं कि वह मंत्री और डिप्टी सीएम के रूप में सीधे तौर पर कैप्टन अमरिंदर के मातहत काम नहीं करेंगे। समझा जाता है कि सिद्धू की इच्छा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने की है और वह सुनील जखाड़ की जगह लेना चाहते हैं। सूत्रों की मानें तो उनके इस दोनों प्रस्ताव को कैप्टन अमरिंदर ने ठुकरा दिया है। कांग्रेस के सामने दिक्कत है कि अगर वह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष का कमान सौंप देती है तो राज्य में मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष दोनों प्रमुख चेहरे एक ही स्थान पटियाला का प्रतिनिधित्व करेंगे।
सिद्धू-अमरिंदर से बात कर सकती हैं सोनिया
रिपोर्टों में यह भी कहा जा रहा है कि पंजाब में पार्टी का संकट दूर करने के लिए कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी अमरिंदर और सिद्धू दोनों से मुलाकात कर सकती हैं। समस्या का हल निकालने के लिए कांग्रेस एक अन्य विकल्प पर भी विचार कर रही है। वह सिद्धू को प्रचार अभियान समिति का प्रमुख बना सकती है। रैलियों में भीड़ जुटाने की सिद्धू की कला को देखते हुए कांग्रेस यह भूमिका उनके लिए ज्यादा सही मान रही है।
दिल्ली में खड़गे से मिल चुके हैं सिद्धू
हालांकि, दिल्ली में खड़गे से मुलाकात के बाद सिद्धू के तेवर थोड़ा नरम पड़े हैं। ट्विटर पर हर-दूसरे दिन कैप्टन पर निशाना साधने वाले सिद्धू ने अभी चुप्पी साध रखी है। ट्विटर पर उनका अंतिम ट्वीट एक जून का है। दरअसल, प्रदेश कांग्रेस के शीर्ष पदों पर दलितों एवं ओबीसी समुदाय के लोगों को लाने की मांग तेज हुई है। यह समीकरण बिठाना कांग्रेस के लिए चुनौती बना हुआ है। पंजाब कांग्रेस का एक धड़े का मानना है कि आगामी विधानसभा चुनाव जीत हासिल करने के लिए दलित एवं ओबीसी समुदाय के नेताओं को शीर्ष पद देना जरूरी है।
राज्य में अगले साल होने हैं चुनाव
पार्टी के एक नेता का कहना है कि राज्य में चुनाव होने में एक साल से कम समय है, ऐसे में डिप्टी सीएम या मंत्री पद देना सिद्धू को आकर्षित नहीं करेगा। प्रदेश कांग्रेस अभी इस मामले में 'प्रतीक्षा करो और देखो' की रणनीति पर काम करेगा। पंजाब में विधानसभा चुनाव 2022 में होंगे। इस बार चुनावी मुकाबला कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, शिरोमणि अकाली दल-बसपा गठबंधन और भाजपा के बीच है।