- असम सरकार का हवाल देकर उदितराज ने कुंभ के आयोजन में सरकारी फंड पर उठाए सवाल
- कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकारी फंड से यदि मदरसे नहीं चल सकते तो कुंभी भी नहीं होना चाहिए
- विवाद बढ़ने के बाद उदितराज ने अपना ट्वीट डिलीट किया, बोले-राज्य का कोई धर्म नहीं होना चाहिए
नई दिल्ली : कुंभ मेले के आयोजन में सरकारी फंड का इस्तेमाल को लेकर कांग्रेस नेता उदितराज ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता ने मदरसा और कुंभ की तुलना करते हुए गुरुवार को कहा कि असम सरकार ने सरकारी फंड से मदरसे न चलाने का निर्णय किया है उसी तरह उत्तर प्रदेश सरकार को कुंभ मेले के आयोजन पर 4200 करोड़ रुपए की राशि नहीं खर्च करनी चाहिए। अपने एक ट्वीट में उन्होंने कहा, 'किसी भी धार्मिक कार्यक्रम में सरकारी फंड का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। यह गलत है।' अपने बयान पर विवाद बढ़ने के बाद उदितराज ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया। बाद में उन्होंने टाइम्स नाउ के साथ बातचीत में सफाई पेश करते हुए कहा, 'राज्य का कोई धर्म नहीं होता। सभी को बराबर मानना चाहिए। किसी के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए।'
आचार्यों ने उदितराज के बयान की निंदा की
वहीं, भाजपा एवं हिंदू धर्म के आचार्यों ने उदितराज के बयान की निंदा की है। भाजपा ने इसे हिंदू आस्था पर चोट करने वाला बताया है। वरिष्ठ पत्रकार राज गोपालन ने कहा कि उदितराज पहले भाजपा के सांसद रह चुके हैं। गोपलन ने कहा कि क्या वह भाजपा के दिनों को भूल गए हैं। उन्हें इस तरह का बयान देने से पहले सोचना चाहिए। लगता है कि वह अपना संतुलन खो चुके हैं।
आचार्य विक्रमादित्य ने कहा कि उदितराज को समझना चाहिए कुंभ केवल धार्मिक कार्यक्रम नहीं है। यह एक सांस्कृतिक परंपरा है। यह परंपरा लाखों वर्षों से चल रही है। परंपरा और धार्मिक कार्यक्रम में अंतर होता है। असम में मदरसो को बंद किए जाने की तुलना कुंभ से नहीं की जा सकती। वहीं, इस्लामिक विद्वान आतिक उर रहमान ने टाइम्स नाउ से कहा कि वह उदितराज की बात से सहमत नहीं हैं।
असम सरकार ने कहा है कि सरकारी फंड से 'कुरान' नहीं पढ़ाई जा सकती
असम की सर्बानंद सोनोवाल सरकार में मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने बुधवार को कहा कि सरकारी पैसे पर 'कुरान' की पढ़ाई नहीं की जा सकती है और जल्दी ही प्रदेश के सभी सरकारी मदरसों को बंद कर दिया जाएगा क्योंकि जनता के पैसों से धार्मिक शिक्षा देने का प्रावधान नहीं है। सरमा का कहना है कि सरकारी पैसों से कुरान पढ़ाई जा सकती है तो फिर बाइबिल और गीता भी पढ़ाई जा सकती है। उन्होंने कहा,"मेरी राय में सरकारी पैसों से सरकारी पैसों कुरान नहीं पढ़ाई नहीं जा सकती।