- जानकार मानते हैं कि लखीमपुर खीरी की हिंसा ने कांग्रेस को एक सियासी मौका दिया है
- लखीमपुर की हिंसा के बाद प्रियंका की आक्रामकता ने कार्यकर्ताओं में भरा है उत्साह
- नवरात्रि के बाद 22 अक्टूबर से औपचारिक रूप से प्रचार के लिए निकलेंगी प्रियंका
प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश की बंजर जमीन पर कांग्रेस की सियासी फसल उगाने के लिए लखीमपुर खीरी की घटना ने बड़ा मौका दे दिया है। यही वजह है कि वाराणसी की रैली को आखरी वक्त में किसानों से जोड़ने के लिए 'किसान न्याय रैली' का नाम दे दिया गया। बनारस की रैली में लोगों से मिले समर्थन से उत्साहित कांग्रेस ने प्रियंका गांधी के चुनावी कम्पैन का मेगा कार्यक्रम बनाया है। आने वाले वक्त में प्रियंका पूरे उत्तर प्रदेश में रैली, सड़क मार्ग से यात्रा, नाव यात्रा, रात्रि विश्राम करती दिखेंगी।
प्रचार के लिहाज से यूपी को अलग-अलग जोन में बांटा
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के चुनाव-प्रचार के लिए प्रदेश को जोन के हिसाब से बांटा गया है। मुख्य रूप से- पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, सेंट्रल यूपी, बुंदेलखंड। हर जोन की जिम्मेदारी कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता को दी गई है। इन नेताओं में प्रमुख हैं प्रमोद तिवारी, सलमान खुर्शीद, अजय कुमार लल्लू,राजेश मिश्रा,पीएल पुनिया और आराधना मिश्रा। विधानसभा चुनाव को देखते हुए प्रियंका गांधी अब हफ्ते में पांच दिन यूपी में प्रवास करेंगी। इसमें कार्यकर्ता और नेताओं के साथ चुनावी रणनीति बनाने के अलावा प्रियंका आम लोगों से भी सीधा संवाद करेंगी।
22 अक्टूबर से प्रचार पर निकलेंगी प्रियंका
नवरात्रि के बाद प्रियंका गांधी 22 अक्टूबर से औपचारिक रूप से विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार पर निकलेंगी। प्रचार की शुरुआत पश्चमी यूपी से होगी। मेरठ या सहारनपुर में प्रियंका की पहली रैली होगी। पहले चरण के चुनाव प्रचार में प्रियंका की छह जनसभाएं उत्तर प्रदेश में होंगी। प्रियंका की यात्रा का दूसरा पड़ाव बुंदेलखंड होगा। हाल ही में इस इलाके के दो बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है। प्रियंका की कोशिश इस इलाके के पिछड़ेपन और बेरोजगारी को मुद्दा बनाना होगा।
पूर्वांचल में नाव यात्रा के जरिए लोगों से संपर्क करेंगी
प्रियंका गांधी यहां से निकल कर पूर्वांचल पहुंचेंगी। इस इलाके में जनसभा, और सड़क यात्रा के अलावा प्रियंका नाव यात्रा भी करेंगी। प्रियंका की नाव यात्रा की जिम्मेदारी पार्टी ने एक महिला नेता को दी है। इस दौरान प्रियंका गंगा किनारे सटे गांव के लोगों से सीधा संवाद करेंगी। इसके बाद प्रियंका का अगला पड़ाव सेंट्रल यूपी होगा। जहां सबसे बड़ी चुनौती प्रियंका के लिए सपा और बसपा के सोशल इंजिनियरिंग के दशकों से चले आ रहे वोटबैंक को तोड़ना होगा। सूत्रों के मुताबिक इसके लिए प्रियंका की एक बड़ी रैली मुलायम-अखिलेश के गढ़ सैफई में होगी।
कांग्रेस के घोषणापत्र पर भी है प्रियंका का ध्यान
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि प्रियंका गांधी देश की नेता हैं लेकिन जिस तरह वह यूपी में सक्रिय हैं, ऐसे में उत्तर प्रदेश में पार्टी को बहुत फायदा होगा। प्रियंका गांधी का विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के घोषणापत्र पर भी खास ध्यान है। पार्टी का प्लान है कि प्रियंका की हर सभा में घोषणापत्र की बात होगी। घोषणापत्र में किए वादों को जनता के बीच घोषित किया जाएगा। कुल मिलकर प्रियंका का फोकस किसान, नौजवान, महिला सुरक्षा, बेरोजगारी, महंगाई पर योगी को घेरने की होगी।
'प्रियंका को अपनी आक्रामकता में निरंतरता लानी होगी'
जानकार भी मानते हैं कि लखीमपुर की घटना ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए संजीवनी बूटी का काम किया है। राजनीतिक एक्सपर्ट अशोक वानखेड़े का मानना है कि जिस तरह प्रियंका लखीमपुर की घटना के बाद वहां पहुंचीं और जिस तरह से पुलिस प्रशासन से लड़ती भिड़ती दिखीं, उससे कांग्रेस में एक नए जोश का संचार हुआ है। उनका यह भी मानना है कि कांग्रेस अब यूपी की लड़ाई में खड़ी हो गई है। लेकिन उनका कहना है कि प्रियंका की ये आक्रामकता सिर्फ एक घटना से जुड़ी नहीं होनी चाहिए, अगर इसमें निरंतरता होगा तभी कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अपनी खोई हुई जमीन वापस पा पाएगी।