नई दिल्ली: बुधवार यानी 10 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए तीन नए कृषि कानूनों का जमकर बचाव किया। पीएम मोदी ने किसानों के आंदोलन और कानूनों के विरोध को लेकर कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सदन में तीनों कृषि कानूनों के कंटेंट (विषय वस्तु) और इंटेंट (मंशा) पर बात नहीं हुई। मैंने देखा कि यहां कांग्रेस के साथियों ने कृषि कानूनों पर चर्चा की, वो रंग पर तो बहुत चर्चा कर रहे थे कि काला है या सफेद है, परंतु अच्छा होता अगर वो इनके इंटेंट पर और इसके कंटेंट पर चर्चा करते।
आज कांग्रेस सांसद और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इसके जवाब में कहा, 'कल सदन को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि विपक्ष आंदोलन की बात कर रहा है लेकिन कृषि कानूनों के कंटेंट और इंटेंट के बारे में बात नहीं कर रहा। मुझे लगा कि मुझे आज उन्हें खुश करना चाहिए और कानूनों के विषय वस्तु और इरादे पर बात करनी चाहिए।'
राहुल ने बताया कानूनों का कंटेंट
उन्होंने कहा, 'पहले कानून का कंटेंट यह है कि देश में कहीं भी खाद्यान्न, फल और सब्जियों की असीमित खरीद हो सकती है। अगर देश में कहीं भी खरीद असीमित है, तो मंडियों में कौन जाएगा? पहला कानून मंडियों को खत्म करना है। दूसरे कानून का कंटेंट यह है कि बड़े व्यापारी जितना चाहें उतना अनाज, फल और सब्जियां स्टोर कर सकते हैं। वे जितना चाहें उतनी जमाखोरी कर सकते हैं। दूसरा कानून आवश्यक वस्तु अधिनियम को समाप्त करने के लिए है। इससे भारत में असीमित जमाखोरी शुरू करना है। तीसरे कानून का कंटेंट यह है कि जब कोई किसान अपनी फसलों की सही कीमत मांगने के लिए भारत के सबसे बड़े व्यापारी के सामने जाता है, तो उसे न्यायालय में जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।'
कानूनों के इरादों पर उठाए सवाल
राहुल ने कहा कि इन कानूनों से मंडियां खत्म हो जाएंगी, कुछ उद्योगपति जमाखोरी करेंगे और लोग भूख से मर जाएंगे तथा देश में रोजगार पैदा नहीं हो पाएगा। इन कानूनों के बाद देश का कृषि क्षेत्र दो-चार उद्योगपतियों के हाथ में चला जाएगा। एक नारा था, हम दो हमारे दो। यह हम दो हमारे दो की सरकार है। प्रधानमंत्री जी कहते हैं कि उन्होंने विकल्प दिया है। इन्होंने भूख, बेरोजगारी और आत्महत्या का विकल्प दिया है। राहुल ने कहा कि पहले कानून का इरादा ये है कि भारत की सभी फसलों का अधिकार एक दोस्त को देना है। किसको होगा नुकसान? छोटे व्यापारी और मंडियों में काम करने वालों को। दूसरे कानून का इरादा दूसरे मित्र की मदद करना है। वह भारत की 40% फसलों को अपने भंडारण में रखता है।
कांग्रेस नेता ने कहा, 'यह किसानों का आंदोलन नहीं है, यह देश का आंदोलन है। किसान सिर्फ रास्ता दिखा रहा है। एक आवाज से पूरा देश 'हम दो हमारे दो' की सरकार के खिलाफ उठने जा रहा है। किसान एक इंच पीछे नहीं हटने वाला, किसान आपको हटा देगा। आपको कानून वापस लेना ही होगा। पीएम कहते हैं कि उन्होंने विकल्प दिए हैं। हां, आपने 3 विकल्प दिए- भूख, बेरोजगारी और आत्महत्या।'