- कांग्रेस के कद्दावर नेता जितिन प्रसाद बीजेपी में शामिल
- यूपी विधानसभा चुनाव से पहले यूपी कांग्रेस को झटका
- जितिन प्रसाद पहले से ही पार्टी नेतृत्व से बताए जा रहे थे नाराज
यूपी कांग्रेस के कद्दावर नेता जितिन प्रसाद ने रेल मंत्री पीयूष गोयल की मौजूदगी में बीजेपी का थामन लिया है। बीजेपी मे शामिल होने पर जितिन प्रसाद ने कहा कि अगर आज इस देश में सही मायने में कोई दल है को वो बीजेपी है। राष्ट्रीय दल के रूप में सिर्फ और सिर्फ बीजेपी है। उन्होंने कहा कि ये महत्वपूर्ण नहीं कि वो किस दल को छोड़कर आए हैं ज्यादा महत्वपूर्ण है कि वो किस दल में शामिल हो रहे हैं।बीजेपी में शामिल होने का ये एक सोची समझी फ़ैसला है। करीब एक दशक से मैंने देखा है कि अगर कोई पार्टी है जो वास्तव में एक राष्ट्रीय पार्टी है तो वह बीजेपी है, बाकी व्यक्तित्व से प्रेरित हैं।
क्या बोले पीयूष गोयल
जितिन प्रसाद के बीजेपी में शामिल होने पर पीयूष गोयल ने कहा कि उनकी कार्यक्षमता को सिर्फ शब्दों के जरिए ना सिर्फ कहा जा सकता है बल्कि जमीन पर उसे देखा भी जा सकता है। जितिन प्रसाद के पार्टी में शामिल होने से पार्टी को मजबूती मिलेगी। इसके साथ ही जिस तरह से पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश आगे बढ़ रहा है उसकी जीत है।
अमित मालवीय का खास ट्वीट
जितिन प्रसाद कांग्रेस से बाहर जाने वाले कई युवा नेताओं में से एक हैं, जिन्हें पार्टी या खुद के लिए कोई भविष्य नहीं दिखता है। इसकी शुरुआत हिमंत सरमा, ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाहर होने के साथ हुई, जिसमें कई और लोग प्रतीक्षा में थे। गांधी परिवार को सोचना चाहिए कि उनके वफादार बाहर क्यों जा रहे हैं?
यूपी कांग्रेस को बड़ा नुकसान
जितिन प्रसाद का बीजेपी में शामिल होना कांग्रेस के लिए झटके की तरह है। बता दें कि बीजेपी के राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने ट्वीट के जरिए संकेत दिए थे कि कोई बड़ा चेहरा पार्टी में शामिल होने वाला है। जितिन प्रसाद का बीजेपी में आना कई वजहों से महत्वपूर्ण है। बीजेपी में शामिल होने से पहले जितिन प्रसाद ने गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा और रेल मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात की।
जितिन प्रसाद, यूपी में कांग्रेस के बड़े ब्राह्मण चेहरों में से एक है। इसके साथ ही वो जमीनी स्तर के नेता है जिनका लखनऊ के आसपास इलाकों में अच्छा खासा प्रभाव है। जितिन प्रसाद के कांग्रेस छोड़ने की कवायद बहुत पहले से ही चल रही थी। जानकार कहते हैं कि आप देख सकते हैं कि किस तरह से केंद्रीय नेतृत्व के नजरंदाज किए जाने की वजह से मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अलग राह चुन ली। ठीक उसी तरह राजस्थान में सचिन पायलट अपनी पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी करते रहते हैं।
क्या कहते हैं जानकार
जितिन प्रसाद के बीजेपी में शामिल होने पर जानकार कहते हैं कि इसे दो तरह से देखने की जरूरत है, पहली बात तो ये है कि जिस भूमिका में जितिन प्रसाद खुद को कांग्रेस में देखना चाहते थे, उसे कांग्रेस नेतृत्व ने पूरा नहीं होने दिया। इस बीच जब यह खबर आने लगी कि कांग्रेस योगी के बनाम साधू को पेश कर सकती है तो आचार्य प्रमोद कृष्णम का नाम सामने आने लगा। ऐसी सूरत में जितिन प्रसाद के पास कांग्रेस में खुद के लिए कोई खास जगह नहीं बची। इसी तरह अगर बीजेपी के नजरिए से देखें तो योगी सरकार पर यह आरोप लगता है कि वो ब्राह्मण विरोधी हैं ऐसे में बीजेपी के पास यही विकल्प था कि वो किसी बड़े ब्राह्मण चेहरे को पार्टी में शामिल कराए।