- 2004 में शाहजहांपुर सीट से पहली बार जीतकर लोकसभा पहुंचे जितिन प्रसाद
- यूपीए सरकार में मंत्री बने जितिन, इस्पात मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया
- पिछले कुछ समय से कांग्रेस से नाराज चल रहे थे जितिन, भाजपा में हुए शामिल
नई दिल्ली : संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की दोनों सरकारों में केंद्रीय मंत्री रहे कांग्रेस के युवा नेता जितिन प्रसाद बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए। ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद जितिन कांग्रसे के दूसरे बड़े युवा नेता हैं जिन्होंने भगवा पार्टी का दामन थामा है। 2019 के लोकसभा चुनाव के समय भी उनके भाजपा में शामिल होने की चर्चा ने जोर पकड़ा था लेकिन उस समय कांग्रेस किसी तरह उन्हें मनाने में सफल हो गई। प्रसाद ने भाजपा में शामिल होने के निर्णय को बहुत सोच-विचार के लिए गया फैसला बताया है। जितिन पश्चिमी यूपी में ब्राह्मण समुदाय का एक बड़ा चेहरा हैं। वह युवा हैं। जाहिर है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को उनका फायदा मिलेगा।
कांग्रेस नेता जितेंद्र प्रसाद के बेटे हैं जितिन, दून स्कूल से पढ़ाई
शाहजहांपुर में जन्मे जितिन कांग्रेस नेता जितेंद्र प्रसाद के बेटे हैं। जितिन की प्रारम्भिक शिक्षा देहरादून के प्रतिष्ठित दून स्कूल से हुई। यहां उनकी मुलाकात ज्योतिरादित्य सिंधिया से हुई। सिंधिया उनके बचपन के दोस्त हैं। जितिन ने दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से वाणिज्य विषय में स्नातक किया। इसके बाद उन्होंने नई दिल्ली के आईएमआई से एमबीए की डिग्री ली।
पहली बार 2004 में लोकसभा पहुंचे, राज्यमंत्री बने
जितिन की सियासत की पारी की शुरुआत साल 2001 में भारतीय युवा कांग्रेस से हुई। वह आईवाईसी के महासचिव बनाए गए। साल 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने पहली बार शाहजहांपुर सीट से चुनाव जीता। यूपीए सरकार में उन्हें इस्पात मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया। साल 2009 का लोकसभा चुनाव धौरहरा सीट से जीता। यह सीट 2008 परिसीमन के बाद सामने आई। वह यूपीए के दूसरे कार्यकाल में पेट्रोलिय एवं गैस मंत्रालय और सड़क परिवहन विभाग में राज्य मंत्री रहे। कांग्रेस ने उन्हें पार्टी का महासचिव नियुक्त किया था।
राहुल के करीबी रहे हैं जितिन
जितिन प्रसाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी और उनकी कोर टीम का हिस्सा रहे हैं। बताया जा रहा है कि पिछले कुछ समय से वह पार्टी की नीतियों से नाराज चल रहे थे। यूपी कांग्रेस में खुद को बड़ी जिम्मेदारी न मिलने से जितिन खुद को हाशिए पर महसूस कर रहे थे। जितिन चूंकि युवा हैं। अभी उनमें सियासत बाकी है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी नजदीक है। ऐसे में उन्होंने सोच समझकर भाजपा में शामिल होने का फैसला किया। भाजपा उन्हें राज्य में बड़ी जिम्मेदारी भी दे सकती है।