- बंगाल चुनाव में आईएसएफ के साथ कांग्रेस में जाने पर आनंद शर्मा ने सवाल उठाए हैं
- आनंद शर्मा ने कहा था कि सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई में पार्टी का चरित्र दोहरा नहीं हो सकता है
- अधीर रंजन चौधरी बोले- पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को आरामतलबी छोड़ देनी चाहिए
नई दिल्ली। क्या कांग्रेस के अंदर सबकुछ ठीक नहीं है। क्या कांग्रेस के नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी के बीच एक ऐसे अंतर ने जन्म लिया है जिसकी वजह से तनातनी बढ़ी है। क्या कांग्रेस के पुराने पीढ़ी के नेताओं को अहसास हो रहा है कि पार्टी मूल सिद्धांतों से मुंह मोड़ रही है। दरअसल बंगाल चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस और सीपीआई एम ने आईएसएफ के साथ जाने का फैसला किया है जिसे ग्रुप 23 के नेता मानते हैं कि सांप्रदायिकता के मुद्दे पर पार्टी का रुख दोहरा नहीं हो सकता है। इस संबंध में पार्टी के कद्दावर नेता आनंद शर्मा ने सवाल उठाए थे जिसका जवाब नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कुछ इस तरह दिया है।
अधीर रंजन चौधरी ने क्या कुछ कहा
- सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाला वाम मोर्चा पश्चिम बंगाल में धर्मनिरपेक्ष गठबंधन का नेतृत्व कर रहा है जिसमें कांग्रेस एक अभिन्न अंग है। हम भाजपा की सांप्रदायिक और विभाजनकारी राजनीति और एक निरंकुश शासन को हराने के लिए दृढ़ हैं।
- जो लोग बीजेपी जैसी पार्टियों के खिलाफ लड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं, वे सांप्रदायिकता का समर्थन करते हैं, उन्हें भाजपा के एजेंडे के अनुरूप टिप्पणी करके पार्टी को कमजोर करने के बजाय पांच राज्यों में पार्टी के लिए कांग्रेस और अभियान का समर्थन करना चाहिए।
- हमेशा निजी आराम स्थानों की तलाश में ऊपर उठने वाले कांग्रेसियों के एक चुने हुए समूह से आग्रह करेंगे कि वे पीएम की प्रशंसा करते हुए समय बर्बाद करें।वे पार्टी को मजबूत करने के लिए एक कर्तव्य का पालन करते हैं और उस पेड़ का पोषण नहीं करते हैं जो उन्हें पोषण देता है।
आनंद शर्मा ने क्या कहा था
आनंद शर्मा ने कहा कि कांग्रेस की परंपरा रही है कि पार्टी सांप्रदायिकता के खिलाफ पुरजोर तरीके से लड़ाई लड़ती रही है और उस परंपरा को हमें आगे बढ़ाना है। हम सिर्फ जीत के लिए अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं कर सकते हैं। एक तरह से सांप्रदायिकता के मुद्दे पर पार्टी चयनात्मक नहीं हो सकती है। बता दें कि आनंद शर्मा समय समय पर पार्टी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते रहे हैं। ना सिर्फ आनंद शर्मा बल्कि कांग्रेस के दूसरे वरिष्ठ नेता जैसे गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी जैसे लोग भी शामिल हैं जिन्हें आमतौर पर जी-23 के नाम से जाना जाता है।