नयी दिल्ली। सरकार विसंगतियों से बचने और मतदाता सूची में एकरूपता लाने के वास्ते लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों के लिए एक समान मतदाता सूची होने की संभावना पर विचार कर रही है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।वर्तमान में, चुनाव आयोग लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए निर्वाचक नामावली या मतदाता सूची तैयार करता है। राज्य निर्वाचन आयोग, जो संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार पूरी तरह से अलग निकाय हैं, अपने स्वयं की मतदाता सूचियों के आधार पर स्थानीय निकायों जैसे नगरपालिकाओं और पंचायतों के लिए चुनाव कराते हैं।
कई राज्य चुनाव आयोग अपनी निर्वाचक नामावली तैयार करने के लिए चुनाव आयोग की मसौदा मतदाता सूची का उपयोग करते हैं। चुनाव आयोग के मसौदे को अक्सर स्थानीय निकाय चुनावों के लिए वार्डों में विभाजित किया जाता है।अधिकारियों ने बताया कि अब केन्द्र सरकार लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों के लिए एक एकल मतदाता सूची होने की संभावना तलाश रही है क्योंकि इससे एकरूपता लाने में मदद मिल सकती है और अलग-अलग मतदाता सूचियों को बनाने में होने वाले खर्च को भी बचाया जा सकता है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘सरकार इस बात पर चर्चा कर रही है कि क्या इन तीन प्रकार के चुनावों के लिए एक ही मतदाता सूची हो सकती है। अब, राज्यों को केंद्रीय मतदाता सूची (ईसी द्वारा तैयार की गई) को अपनाने के लिए राजी करना होगा’’एक अन्य पदाधिकारी ने बताया कि एक समान मतदाता सूची होना अब ‘‘वांछनीय’’ है क्योंकि वर्तमान में एक ही उद्देश्य के लिए बार-बार खर्च किया जाता है।
इस महीने की शुरुआत में, प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस मुद्दे पर एक बैठक आयोजित की थी जिसमें कानून मंत्रालय और चुनाव आयोग के शीर्ष अधिकारियों ने वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाओं पर अपने विचार व्यक्त किये थे।चुनाव आयोग, विधि आयोग और कानून एवं कार्मिक मंत्रालयों की संसदीय स्थायी समिति ने पहले भी एक ही मतदाता सूची के विचार का समर्थन किया था।