- कोरोना वायरस की वजह से देश और दुनिया की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है
- इससे देश के हिल स्टेशन और अन्य टूरिस्ट प्लेस भी अछूते नहीं रहे हैं
- राजस्थान का इकलौता हिल स्टेशन माउंटआबू का टूरिज्म कारोबार पूरी तरह चौपट हो गया है
नई दिल्ली: कोरोना वायरस की वजह से देश और दुनिया की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है। इस कोरोना ने देश के हिल स्टेशनों और पर्यटन स्थलों के टूरिज्म कारोबार को भी पूरी तरह चौपट कर दिया है। किसी भी टूरिस्ट प्लेस और हिल स्टेशन का कारोबार तभी चमकता है जब टूरिस्ट आते है लेकिन फिलहाल कोरोना और लॉकडाउन की वजह से टूरिज्म कारोबार पर ग्रहण लग चुका है। माउंटआबू राजस्थान का इकलौता हिल स्टेशन है जहां राजस्थान में हर साल सबसे ज्यादा सैलानी आते हैं। यहां हर साल 25 से 30 लाख सैलानी आते हैं जिससे प्रशासन को करोड़ों की आय होती है। आंकड़ों के मुताबिक यहां सैलानियों की आवक पिछले कई साल में तेजी से बढ़ी थी लेकिन इस साल कोरोना और लॉकडाउन की वजह से माउंटआबू का टूरिज्म कारोबार पूरी तरह चौपट हो गया है। अब यह दीपावली तक भी पटरी पर आ पाएगा या नहीं यह कहना मुश्किल है। इसे लेकर माउंटआबू के होटल कारोबारियों सहित सभी व्यापारियों के मन में निराशा है।
कोरोना से माउंटआबू का टूरिज्म चौपट
माउंट आबू का पर्यटन व्यवसाय लाकडाउन के चलते और कोरोना की वजह से डगमगा गई है। माउंट आबू एक ऐसा स्थान है जहां ना कोई इंडस्ट्री है और ना कोई अन्य बड़े व्यवसाय। माउंट आबू सिर्फ होटल रेस्टोरेंट पर्यटन व्यवसाय पर ही है आधारित है और दूसरा व्यवसाय हे माउंट आबू अंग्रेजी माध्यम स्कूल जहां देशभर से बच्चे यहां प्रवेश लेते हैं लेकिन इस बार यहां कोरोना की वजह से इसपर भी ग्रहण लग गया है।
करोड़ों की आय पर असर
माउंट आबू नगर पालिका की आय भी यहां के पर्यटन व्यवसाय पर ही और लाखों पर्यटकों के आवागमन पर ही निर्भर करती है। इसे माउंट आबू का नौका बिहार व अन्य ठेकों से आय होती है लेकिन अब नगरपालिका को करोड़ों की होनेवाली आय भी ठप हो गई है। माउंट आबू में दूसरी और अगर सरकार की भी चाहे केंद्र चाहे राज्य जहां जीएसटी व अन्य स्रोतों से करोड़ों की आय होती है लेकिन अब वह ठप है क्योंकि व्यपार ही नहीं हो पा रहा है।
सैलानी की आवक नहीं होने से पसरा सन्नाटा
माउंट आबू में शराब के ठेकों से राजस्थान सरकार को करोड़ों की आय होती है क्योंकि यहां से सटे गुजरात राज्य से ज्यादातर लोग यहां शराब पीने के लिए आते हैं और अपना मनोरंजन करते हैं । माउंट आबू पर्यटन स्थल के साथ एक धार्मिक स्थल भी है और इससे माउंट आबू के धार्मिक स्थलों को भी आय होती है लेकिन अब हालत बदल चुके हैं । अगर पर्यटक नहीं होंगे और दर्शन आरती भी नहीं होंगे तो आय की संभावना का सवाल ही नहीं उठता है।
माउंट आबू के हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष डा दिलजीत ब्रहम भट् सहित माउंट आबू के हॉस्टल व्यवसाय और होटल मालिक भी अपने व्यापार को लेकर परेशान है ।माउंट आबू के होटलों में काम करने वाले मजदूर कर्मचारी अपने-अपने गांवों को चले गए हैं अगर धीरे-धीरे व्यवसाय भी शुरू होता है तो इस पर्यटन व्यवसाय को वापस शुरू करने में काफी समय लगेगा । दूसरी तरफ माउंट आबू के होटल एसोसिएशन ने तो सरकार से बिजली व पानी के बिलों को माफ करने की भी मांग की है। लेकिन इस मौजूदा हालात में यह कह पाना मुश्किल है कि जिस जगह हर साल 25 से 30 लाख लोग आते थे और नगर पालिका को भी करोड़ों की आय होती थी वहां के हालात कब और कैसे सुधरेंगे यह एक यक्ष प्रश्न है।
(सभी तस्वीरों के लिए साभार अनिल कुमार ऐरन)