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Avalanche in Sikkim: उत्तर सिक्किम में हिमस्खलन, ज्यादातर सैनिक बचाए गए, एक लापता

Updated May 14, 2020 | 16:15 IST

पहाड़ी इलाकों में तैनात भारतीय सैनिकों के लिए जितना खतरा दुश्मन की गोलियों से नहीं होता है। उससे ज्यादा परेशानी प्राकृतिक वजहों से होती है जिसमें हिमस्खलन की प्रमुख भूमिका होती है।

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तस्वीर साभार:&nbspRepresentative Image
उत्तर सिक्किम में हिमस्खलन की चपेट में भारतीय सैनिक
मुख्य बातें
  • उत्तर सिक्किम में हिमस्खलन, भारतीय सैनिकों के चपेट में आने की खबर
  • जम्मू-कश्मीर और सिक्किम में हिमस्खलन सामान्य प्रक्रिया
  • गश्ती दल में 16 से 17 सैनिक थे, ज्यादातर बचाए गए सिर्फ एक सैनिक लापता

 नई दिल्ली। उत्तरी सिक्किम क्षेत्र में आज हिमस्खलन की चपेट में 16 से 17 सैनिकों का एक समूह आ गया। एक लापता सैनिक का तलाशी अभियान जारी है। सेना का कहना है कि एक गश्ती वाहन रोज की तरफ पैट्रोलिंग कर रहा था कि एकाएक बर्फ नीचे आने लगी जिसमें सैनिक दब गए। अच्छी बात यह रही है कि एक को छोड़कर सबको बचा लिया गया है। लापता एक सैनिक की तलाश जारी है। 

हिमस्खलन की चपेट में आए सैनिक
सेना का कहना है कि सघन तलाशी अभियान के दौरान गश्त समूह में शामिल सैनिकों को बचा लिया गया है और वो ठीक है। लापता एक सैनिक की तलाश के लिए सर्च आपरेशन जारी है। उम्मीद है कि उसे सैनिक को भी बचाने में कामयाबी मिलेगी। 

इसलिए होता है हिमस्खलन
पर्वतीय इलाकों में  हिमपात होने की वजह से ढलानों पर बर्फ इकट्ठा हो जाती है। इसकी वजह से ऐसे ढलान जो अभी नए अवस्था में हैं वो हिमस्खलन की संभावना अधिक होती है। हवा की दिशा पहाड़ पहाड़ों के ढलानों पर बर्फबारी के पैटर्न के साथ-साथ बर्फ संचय के तौर तरीके को भी निर्धारित करती है। यदि तेज हवा चलती है या बहती है तो पहाड़ों के ऊपरी खड़ी ढलान की वजह से एवलांच की संभावना ज्यादा होती है। गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से भी हिमस्खलन होता है। पर्वत की ढलानों पर  की वजह से स्टीपर ढलान का निर्माण हो जाता है और यही परत दर परत जमी बर्फ बहुत ज्यादा दबाव बढ़ने की वजह से ये परतें खिसक जाती हैं और बर्फ तेजी से नीचे आने लगती है। 

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