- एयरलेंस माइनस कोरोना जिसे इंटेलिजेंट रोबोट का दिया गया है नाम
- इलेक्ट्रीफिकेशन ऑफ पार्टिकल्स पर मशीन काम करती है,
- इस मशीन को एनएबीएल की तरफ से सर्टिफिकेट हासिल
नई दिल्ली। लॉकडाउन के दौरान हम सभी लोग हर रोज कुछ ऐसी तस्वीरों से दो चार होते हैं जो सवाल करती हैं क्या शासन प्रशासन मजदूरों के लिए संवेदनशील है। आप को याद होगा कि बरेली में किस तरह से मजदूरों पर पर दवाओं का छिड़काव कर दिया। हाल ही में लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पर भी ऐसा मामला सामना आया। लेकिन अब इस तरह की तस्वीर देखने को नहीं मिलेगी।
स्टैनफोर्ड-आईआईटी के पूर्व छात्रों की पहल
स्टैनफोर्ड और आईआईटी के पुराने छात्रों ने एक ऐसी मशीन बनाई है जिसके जरिए सार्वजनिक स्थानों को बेहतर ढंग से सैनिटाइज किया जा सकता है। प्री सैपियंस के निदेशक शशि रंजन बताते हैं कि इस मशीन के जरिए सैनिटाइज करने में किसी को किसी तरह से खतरा नहीं है और कोविड 19 का इलाज बेहतर ढंग से किया जा सकता है।
इलेक्ट्रीफिकेशन ऑफ पार्टिकल्स पर काम करती है मशीन
प्री सैंपियंस के को फाउंडर और निदेशक शशि रंजन बताते हैं कि यह पूरी तकनीक खासतौर पर इलेक्ट्रीफिकेशन ऑफ पार्टिकल्स पर काम करती है। इसके जरिए चार्ज्ड आ आयोनाइज्ड ड्रापलेट के जरिए कोरोना वायरस को मदद मिलेगी। दरअसल आयोनाइज्स ड्रापलेट वायरस में मौजूद प्रोटीन का मार देगा। मशीन के निर्माणकर्ताओं का कहना है कि किसी भी जगह को सैनिटाइज करने के लिए इस समय अल्कोहल का इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिव वो स्किन के लिए अच्छा नहीं है। लेकिन पानी की वजह से किसी तरह से त्वचा को नुकसान नहीं पहुंचता है।
एयरलेंस माइनस कोरोना
मशीन को एक खास नाम भी दिया गया है जिसे एयरलेंस माइनस कोरोना कहते हैं। इसे रोबो सैपियन के रूप में बनाया गया है जिसे इंटेलिजेंट रोबोट भी कहते हैं। खास बात यह है कि इसे नेशन एक्रीडिशन बोर्ड ऑफ टेस्टिंग एंड कैलिबरेशन लेबोरेट्री से सर्टिफिकेट भी हासिल है। इस रोबोट को बनाने वाले कहते हैं कि एनएबीएल की तरफ से सर्टिफिकेट मिलना राहत वाली बात है।