कोरोना वायरस को लेकर एक और परेशान करने वाली रिपोर्ट सामने आई है। दरअसल इजरायली स्टडी से सामने आया है कि फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन कोरोना वायरस के दक्षिण अफ्रीका वैरिएंट पर अधिक प्रभावी नहीं है। इजराइल के सबसे बड़े हेल्थकेयर संगठन तेल अवीव विश्वविद्यालय और क्लैटिट के शोधकर्ताओं ने लगभग 400 लोगों की जांच की जिन्होंने वैक्सीन की कम से कम एक डोज ली है और वो कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं। इन लोगों की तुलना उनसे की गई जो संक्रमित है और उन्होंने वैक्सीन नहीं ली है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि वैक्सीन न लेने वालों की तुलना में दक्षिण अफ्रीका का कोरोना वैरिएंट का प्रसार उन रोगियों में लगभग आठ गुना अधिक है, जिन्होने वैक्सीन की दो डोज ली हैं। ऑनलाइन प्रकाशित किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि वैक्सीन वायरस के ऑरिजनल स्ट्रेन की तुलना में दक्षिण अफ्रीकी वैरिएंट पर कम प्रभावी है।
रिसर्च में कहा गया है कि वैक्सीन न लगवाने वाले समूह की तुलना में वैक्सीन की दूसरी खुराक प्राप्त कर चुके लोगों में दक्षिण अफ्रीकी वैरिएंट की असमान रूप से उच्च दर पाई गई है। कहा जा सकता है कि ये वैरिएंट फाइजर वैक्सीन द्वारा दी गई सुरक्षा को भेदने में कुछ हद तक कामयाब है।
'बच्चों के लिए सुरक्षित फाइजर'
हाल ही में फाइजर ने कहा कि उसका कोविड-19 टीका 12 साल तक के बच्चों के लिए भी सुरक्षित है। कंपनी की इस घोषणा को इस आयु वर्ग के बच्चों के स्कूल जाने से पहले उनके टीकाकरण की संभावना के तौर पर देखा जा रहा है। कई देशों में ऐसे व्यस्कों को कोविड-19 टीकों की खुराकें दी जा रही है, जो कोरोना वायरस संक्रमण के मामले में अति संवेदनशील हैं। फाइजर का टीका 16 साल या उससे अधिक आयु के लोगों को लगाने की अनुमति है।