- भारत में अभी 18 साल तक के बच्चों को नहीं लग रहा है कोरोना का टीका
- कोरोनो की तीसरी लहर की आशंका के बीच कई राज्यों में स्कूल खुले
- नीति आयोग के सदस्य ने कहा कि कुछ देश ही बच्चों को लगा रहे टीका
नई दिल्ली : नीति आयोग (स्वास्थ्य) के सदस्य वीके पॉल ने कहा है कि बच्चों को टीका लगाए जाने के बाद ही स्कूल खोले जाएं, ऐसी कोई शर्त नहीं है।उन्होंने गुरुवार को कहा कि बच्चों को कोरोना टीका लगने के बाद ही स्कूल खुलेंगे ऐसे कोई शर्त नहीं है। इस तरह की शर्त दुनिया में कहीं भी नहीं है। किसी भी वैज्ञानिक संस्था, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस तरह का सुझाव नहीं दिया है। हालांकि, सभी का टीकाकरण वांछनीय है। नीति आयोग के सदस्य कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों पर खतरे से जुड़े सवालों का जवाब दे रहे थे।
मॉडर्ना एवं जॉनसन के टीकों पर कही ये बात
मॉडर्ना एवं जॉनसन एंड जॉनसन के टीकों की उपलब्धता के सवाल पर पत्रकारों से उन्होंने कहा कि इन कंपनियों के टीके को भारत में आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिली है। देश के पास यह विकल्प मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि जहां तक इन टीकों के आयात करने अथवा इनका स्थानीय स्तर पर उत्पादन करने की बात है तो इसके लिए हमें अभी उत्पादकों के साथ एक आम सहमति पर पहुंचना है। इस दिशा में सरकार काम कर रही है।
कुछ ही देशों में बच्चों को लग रहा टीका
उन्होंने कहा कि सिर्फ कुछ ही देशों ने अब तक बच्चों का टीकाकरण शुरू किया है। उन्होंने कहा कि टीकाकरण को छोड़कर स्कूलों को खोलने के लिये महामारी से संबंधित अन्य स्थितियां सुरक्षित होनी चाहिए। पॉल ने जोर देकर कहा कि स्कूल खोलने के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण है-हवा की समुचित निकासी, बैठने की व्यवस्था, कक्षा में मास्क पहनने के बारे में मानक संचालन प्रक्रियाओं का पालन करना।
भारत में 58 फीसदी लोगों को दी जा चुकी पहली खुराक
नीति आयोग के सदस्य ने आगे कहा कि कोविड-19 का एक टीका मौत के खतरे को 95 प्रतिशत तक कम कर देता है। उन्होंने बताया कि देश में 18 साल से 58 प्रतिशत आबादी को कोरोना टीके की पहली खुराक दी जा चुकी है। उन्होंने कहा, 'जब आप किसी को टीके का दोनों डोज लगा देते हैं तो उसे गंभीर बीमारी एवं मौत से पूरी तरह सुरक्षा मिल जाती है। इस महामारी से बचने का टीकाकरण ही मुख्य हथियार है।'