नई दिल्ली: कोरोना वायरस के खिलाफ देश में टीकाकरण जारी है। देश में अभी 2 वैक्सीन दी जा रही है, एक है कोवैक्सीन और दूसरी है कोविशील्ड। दोनों वैक्सीन की 2-2 डोज लेना आवश्यक है। पहली डोज लगने के 28 दिन बाद दूसरी डोज दी जाती है। लोगों के मन में वैक्सीनेशन और वैक्सीन को लेकर कई सवाल भी हैं।
एक सवाल है कि क्या दोनों डोज एक ही कंपनी की वैक्सीन की लगवानी हैं? इसके जवाब में 'आकाशवाणी समाचार' के अनुसार, मैक्स हॉस्पिटल के डॉ. बलवीर सिंह ने कहा है कि दोनों वैक्सीन एंटीबॉडी ही बनाएंगी, लेकिन उनके बनाने का तरीका अलग-अलग है। इसलिए जो डोज पहले लगवाई है उसी कंपनी की दूसरी डोज लगवाएं, क्योंकि दोनों डोज मिलकर एंटीबॉडी बनाएंगी। कोवैक्सीन में वायरस को इनएक्टिव करके बनाया गया है, जबकि कोविशील्ड में स्पाइक प्रोटीन से बनाया गया है।
आपको बता दें कि वैक्सीन की दूसरी डोज के 15 दिन बाद वायरस से लड़ने की क्षमता बनती है। ऐसे में वैक्सीन लगने के बाद भी कई दिनों तक पूरी तरह सावधानी बरतना जरूरी है।
3.5 करोड़ खुराक दी गईं
स्वास्थ्य मंत्रालय में सचिव राजेश भूषण ने बताया है कि अब तक देशभर में महामारी की तीन करोड 51 लाख खुराक दी जा चुकी हैं। एक करोड बीस लाख से अधिक स्वास्थ्यकर्मियों और कोविड से निपटने में लगे 92 लाख से अधिक अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं को भी टीके लगाए जा चुके हैं। 60 साल से अधिक उम्र के एक करोड 38 लाख लोगों को भी टीके की पहली खुराक दी जा चुकी है। उन्होंने कहा कि देशभर में पचास हजार से अधिक सरकारी और निजी अस्पतालों में कोविड टीके लगाए जा रहे हैं।
'टीकों की बर्बादी नहीं होनी चाहिए'
भूषण ने बताया, '15 मार्च को दुनियाभर में 83 लाख 40 हजार कोविड टीके लगाए गए, जिनमें से अकेले भारत में 36 प्रतिशत टीके लगे। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने अब तक राज्यों को टीके की सात करोड 54 लाख खुराक उपलब्ध कराई हैं।' स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि टीके बहुमूल्य दवा है और उनकी बर्बादी कतई नहीं होनी चाहिए। भारत में टीकों की बर्बादी साढे छह प्रतिशत है। तेलंगाना में 17.6 प्रतिशत तथा आंध्र प्रदेश में 11.6 प्रतिशत बर्बादी हुई है।