- सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कर रहा है कोविशील्ड वैक्सीन का उत्पादन
- एक वालंटियर ने ट्रायल के दौरान कोविशील्ड वैक्सीन के दुष्प्रभाव का किया था जिक्र
- पीएम मोदी ने हाल ही में पुणे स्थित एसआईआई का किया था दौरा
नई दिल्ली। कोरोना महामारी का सामना पूरा ग्लोब कर रहा है और हर किसी की निगाह कोरोना वायरस वैक्सीन पर टिकी है, भारत भी उनमें से एक है, यहां पर तीन वैक्सीन परीक्षण के अलग अलग स्तरों पर हैं और उम्मीद है कि अगले तीन से चार महीनों में वैक्सीन बाजार में आ जाएगी। जिन तीन वैक्सीन पर सबकी नजर है उनमें से सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड है, हालांकि इस वैक्सीन के संबंध में एक वालंटियर ने शिकायत की थी कि उस पर बुरा प्रभाव हुआ और उसने एसआईआई से पांच करोड़ का जुर्माना मांगा है। लेकि सरकार ने साफ कर दिया है कि वैक्सीन पर जिस रफ्तार से काम जारी है उसमें किसी तरह का व्यवधान नहीं आएगा।
एसआईआई ने वालंटियर को चेतावनी दी
वालंटियर के आरोपों को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने सिरे से नकार दिया था और 100 करोड़ का हर्जाना की चेतावनी तक दे डाली। एसआईआई का कहना है कि कोविशील्ड पूरी तरह सुरक्षित और इम्युनोजेनिक है। जहां तर वालंटियर पर दुष्प्रभाव की बात है उसके लिए ट्रायल के दौरान वैक्सीन जिम्मेदार नहीं है।
वालंटियर के आरोप पर सरकार का पक्ष
जब वालंटियर के आरोपों के बारे में सरकार से पूछा गया कि मीडिया में इस खबर के आने से पहले सरकार या कंपनी ने जानकारी क्यों नहीं दी तो उस सवाल के जवाब में स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि ऐसी कोई वजह नहीं कि पूरी प्रक्रिया में किसी तरह की ढील दी गई हो या ट्रायल के दौरान इस तरह की घटना के बारे में ऐहतियात न बरता गया हो। इस बारे में डीजीसीआई ने पाया कि वालंटियर की खराब तबीयत औक अस्पताल में भर्ती होने का संबंध वैक्सीन से जुड़ी नहीं है।