नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर हुए आतंकी हमले के बाद पूरे देश में आक्रोश था। इस हमले में पाकिस्तान की भूमिका साफ थी। पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इसकी जिम्मेदारी ली थी। भारत में जैश की आतंकी गतिविधियों के खिलाफ भारत इससे पहले भी कई साक्ष्य पाकिस्तान को दे चुका था, लेकिन उसने कोई कार्रवाई नहीं की। पुलवामा हमले के बाद यह साफ था भारत अपने जवानों की शहादत को यूं ही नहीं जाने देगा।
पुलवामा में हुई उस कायराना आतंकी वारदात के 12 दिन बाद ही भारत ने 26 फरवरी को पाकिस्तान की सीमा में घुसकर आतंकियों के ठिकानों को ध्वस्त कर पुलवामा का बदला ले लिया था। लेकिन इसके अगले ही दिन पाकिस्तान ने फिर एक दुस्साहस किया, जिसे भारतीय वायुसेना की मुस्तैदी से नाकाम कर दिया गया। इसमें विंग कमांडर अभिनंदन वर्तनमान का जिक्र खास तौर पर आता है, जिनकी बहादुरी ने पाकिस्तानियों के छक्के छुड़ा दिए थे।
मार गिराया था पाकिस्तान का F-16
दअरसल, बालाकोट में भारतीय वायुसेना के एयर स्ट्राइक से बौखलाए पाकिस्तान ने अगले ही दिन यानी 27 फरवरी को कुछ एफ-16 विमानों के जरिये कश्मीर में घुसपैठ और भारतीय ठिकानों को निशाना बनाने कोशिश की थी, लेकिन मुस्तैद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को ध्वस्त कर दिया था। भारत के मिग-21 और मिराज 2000 लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तान की ओर से भेजे गए एफ-16 लड़ाकू विमानों को खदेड़ दिया था।
पाकिस्तान के एफ-16 लड़ाकू विमान को भारतीय वायुसेना के जिस मिग-21 बायसन ने मार गिराया था, उसे विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान ने डॉग फाइट में मार गिराया था। पाकिस्तान ने हालांकि कभी इसे स्वीकार नहीं किया कि भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने उसके एफ-16 लड़ाकू विमान को मार गिराया। हालांकि भारत ने साक्ष्य के तौर पर इसका मलबा भी पेश किया, जिसके कुछ टुकड़े कश्मीर के भारतीय नियंत्रण वाले इलाके में गिर गए थे।
इस डॉग फाइट के दौरान हालांकि विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान का मिग-21 बायसन भी क्षतिग्रस्त हो गया था, जिसके बाद वह पैराशूट लेकर नीचे उतरे। इस क्रम में हालांकि वह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में पहुंच गए, जहां उन्होंने 'भारत माता की जय' के नारे लगाए तो पकड़े जाने पर अपने साथ मौजूद नक्शों और अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्यों को भी तुरंत नष्ट कर दिया। बाद में वह पाकिस्तानी सैनिकों के कब्जे में थे, लेकिन भारत के पक्ष में दुनियाभर से पड़े कूटनीतिक दबाव में आखिरकार पाकिस्तान को 1 मार्च को उन्हें छोड़ना पड़ा।
जब अपने ही पायलट को नहीं पहचान पाया पाकिस्तान
भारत और पाकिस्तान के विमानों के बीच 27 फरवरी को हुई उस डॉगफाइट के दिन पाकिस्तान की सेना की ओर से जो बयान आया था, उसने पूरे मामले में उसकी कलई खोलकर रख दी। पाकिस्तानी सेना ने तब दो भारतीय पायलटों को हिरासत में लेने की घोषणा की थी, लेकिन कुछ ही घंटों में पाकिस्तानी सेना की ओर से स्पष्ट किया गया कि उनके कब्जे में एक ही भारतीय पायलट है। बाद में लंदन में रह रहे एक पाकिस्तानी वकील ने कहा था कि पाकिस्तानी सेना ने वास्तव में जिस दूसरे पायलट के अपने कब्जे में लेने का दावा किया था, वह वास्तव में पाकिस्तानी पायलट ही था।
उन्होंने खुलासा किया था कि डॉग फाइट के दौरान वह पाकिस्तानी पायलट भी PoK की सीमा में उतरने में कामयाब रहा था, लेकिन स्थानीय लोग उसे पहचान नहीं पाए और भारतीय समझकर बंधक बनाकर पीटने लगे। उन्होंने इतनी बेरहमी से उसे पीटा कि बाद में अस्पताल में उपचार के दौरान उनकी जान चली गई। इस तरह उस वक्त पाकिस्तान ने अपने ही पायलट की मौत की खबर छुपा ली थी, ताकि उसे शर्मिंदगी न झेलनी पड़े।