नई दिल्ली : भारतीय वायुसेना ने दो साल पहले पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में एयर स्ट्राइक कर जब आतंकियों के ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था तो पाकिस्तान सकते में आ गया था। पाकिस्तान को इसकी भनक तक नहीं थी कि भारत पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले का बदला इस तरह लेगा। भारतीय वायुसेना ने अपने उस खास अभियान को 'ऑपरेशन बंदर' नाम दिया था।
भारतीय वायुसेना के इस विशेष ऑपरेशन के तहत 12 मिराज लड़ाकू विमानों ने अलग-अलग एयरफोर्स स्टेशनों से उड़ान भरी थी, जिसने पाकिस्तानी प्रतिष्ठानों को भ्रम में डाल दिया था। चंद मिनटों में वे भारतीय वायु को पार कर पाकिस्तानी एयरस्पेस में थे, लेकिन सबसे बड़ी हैरानी लोगों को इस बात को लेकर हुई कि पाकिस्तानी रडार अपने एयररस्पेस में भारतीय विमानों की मौजूदगी का पता भी नहीं लगा पाए।
बरती गई थी गोपनीयता
पाकिस्तान को इस बारे में तब पता लगा जब भारतीय वायुसेना के विमान अपने मिशन को अंजाम देकर भारतीय सीमा में लौट आए। पाकिस्तान की सीमा के भीतर इस मिशन को भारत के मिराज-2000 लड़ाकू विमानों ने चंद सेकंड्स में अंजाम दिया था, जिसे न केवल 'ऑपरेशन बंदर' जैसा अनोखा नाम दिया गया था, बल्कि इसे बेहद गोपनीय भी रखा गया था। अभियान से जुड़े विमानों के पायलट्स के परिवार को भी इसका पता नहीं था।
पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाने को लेकर भारतीय वायुसेना के इस अभियान को 'ऑपरेशन बंदर' नाम क्यों दिया गया, इस बारे में रक्षा सूत्रों ने कहा था कि इसे अधिक से अधिक गोपनीय रखने के लिए यह नाम दिया गया था। लेकिन गोपनीयता के लिए यही नाम क्यों? इस बारे में बाद में रक्षा सूत्रों ने कहा था कि भारतीय इतिहास में बंदरों का युद्ध में हमेशा से एक विशेष स्थान रहा है। भगवान राम की लड़ाई जब रावण से हुई थी, तब उनके सेनानायक हनुमान ने लंका में घुस शक्तिशाली रावण के पूरे साम्राज्य को तहस-नहस कर दिया था।
...और यूं पूरा हुआ पुलवामा का बदला
भारतीय वायुसेना ने यह कार्रवाई 14 फरवरी 2019 को कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हुए आतंकी हमले के 12 दिनों के बाद की थी, जिसमें भारत 40 बहादुर जवान शहीद हो गए थे। इस जघन्य वारदात की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी, जिसके इशारे पर कश्मीरी आतंकी आदिल अहमद डार ने विस्फोटकों से भरी कार सीआरपीएफ जवानों को ले जा रही बस से टकरा दी थी।
(तस्वीर साभार : PTI)
सीआरपीएफ जवानों को लेकर जा रहे उस काफिले में 78 बसें थीं, जिनमें करीब 2500 जवान सवार थे। जब यह हमला हुआ, सीआरपीएफ जवानों को लेकर जा रही बसें एनएच-44 से गुजर रही थीं। हमले में आतंकी आदिल अहमद डार भी मारा गया था। इस वारदात में पाकिस्तान की भूमिका साफ थी और इसे लेकर उसके प्रति देश में जबरदस्त आक्रोश था। यह भी साफ था कि भारत अपने जवानों की शहादत को यूं ही नहीं जाने देगा। यही हुआ, जब भारत ने 12 दिनों बाद 26 फरवरी, 2019 को बालाकोट में एयर स्ट्राइक कर पुलवामा का बदला पूरा किया।