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समुद्र में बढ़ी देश की ताकत, नौसेना को मिले युद्धपोत 'सूरत' और 'उदयगिरि'

Updated May 17, 2022 | 12:53 IST

Rajnath Singh : नौसेना के मझगांव बंदरगाह पर राजनाथ सिंह ने कहा, 'भारत की नौसेना की ताकत आज दुनिया मान रही है।' उन्होंने कहा कि 'सूरत' (प्रोजेक्ट 15बी) एवं 'उदयगिरि' (प्रोजेक्ट 17ए) युद्धपोतों  के निर्माण में अत्याधुनिक तकनीक लगी है।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
मझगांव बंदरगाह पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह।
मुख्य बातें
  • समुद्र में भारतीय नौसेना की ताकत और बढ़ गई है
  • विध्वसंक 'उदयगिरि' और 'सूरत' नौसेना को मिले हैं
  • दोनों युद्धपोत अत्याधुनिक हथियारों एवं उपकरणों से लैस हैं

मुंबई : समुद्र में भारत की सैन्य ताकत और बढ़ गई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को मुंबई में विध्वंसक आईएनएस 'उदयगिरि' एवं सूरत को लॉन्च किया। इस मौके पर नौसेना के जवानों एवं अधिकारियों को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि इस बात में अब कोई संदेह नहीं है कि भारत अपने लिए युद्धपोतों का निर्माण करने के साथ-साथ दुनिया के लिए इसका निर्माण करेगा। हमारा उद्देश्य केवल 'मेक इन इंडिया' ही नहीं बल्कि 'मेक फॉर वर्ल्ड है।' 

'भारत की नौसेना की ताकत आज दुनिया मान रही है।'
नौसेना के मझगांव बंदरगाह पर राजनाथ सिंह ने कहा, 'भारत की नौसेना की ताकत आज दुनिया मान रही है।' उन्होंने कहा कि 'सूरत' (प्रोजेक्ट 15बी) एवं 'उदयगिरि' (प्रोजेक्ट 17ए) युद्धपोतों  के निर्माण में अत्याधुनिक तकनीक लगी है। साल 1420 में इटली के कारोबारी लेखक ने भी भारतीय नौसेना की क्षमताओं को सराहा था। आज भारतीय नौसेना की ताकत से दुनिया भलीभांति परिचित है। इन दोनों युद्धपोतों की डिजाइन डाइरेक्टरेट ऑफ नैवल डिजाइन ने किया है। रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि इन दोनों युद्धपोतों में लगे करीब 75 प्रतिशत उपकरण एवं प्रणालियों को स्वदेशी कंपनियों (एमएसएमई) ने बनाया है। 

बड़े विध्वंसक पोतों में से एक है 'सूरत'
'सूरत' प्रोजेक्ट 15बी का हिस्सा है और यह भारत द्वारा बनाए गए सबसे बड़े विध्वंसक पोतों में से एक है। पश्चिमी भारत के दूसरे बड़े कारोबारी शहर के नाम पर इसका नाम रखा गया है। वहीं, विध्वंसक पोत 'उदयगिरि' का नाम आंध्र प्रदेश की पहाड़ी श्रृंखला पर है। इसे प्रोजेक्ट 17ए के तहत बनाया गया है। यह इस तरह का तीसरा युद्धपोत है।

यह अत्याधुनिक हथियार, सेंसर, प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम से लैस है। यह 'उदयगिरि' युद्धपोत का नया संस्करण है। इस युद्धपोत ने फरवरी 1976 से लेकर 2007 तक करीब तीन दशक तक देश की सेवा की। 

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