नई दिल्ली: कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए देश में लगाए गए लॉकडाउन के बाद हजारों मजदूर बेरोजगार हो गए, जबकि प्रवासी मजदूरों के पास तो छत भी नहीं रही। सरकारों ने उनके रहने-खाने का इंतजाम किया, लेकिन कई जगह ये नाकाफी हो रहा है। मुंबई, सूरत के बाद अब दिल्ली से हैरान और परेशान कर देने वाली तस्वीर सामने आई। यहां यमुना नदी के किनारे मजदूरों की भीड़ इकट्ठी हो गई। सोशल डिस्टेंसिंग का यहां पर बिल्कुल ध्यान नहीं रखा गया। हालांकि बाद में सरकार ने इन लोगों के लिए इंतजाम किए।
सरकार ने कश्मीरी गेट के पास कुदेशिया घाट से इन प्रवासी मजदूरों को निकाला और खाने को उन्हें फल दिए गए और रहने के लिए उन्हें दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में सरकारी स्कूलों में स्थापित आश्रय गृहों में भेजा गया। दिल्ली सरकार की तरफ से कहा गया, 'AAP सरकार ने प्रवासी श्रमिकों को दिल्ली सरकार के स्कूलों में भेजना शुरू कर दिया है, जहां उन्हें भोजन और आश्रय प्रदान किया जाएगा। उनकी मेडिकल स्क्रीनिंग भी की जाएगी।'
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, 'यमुना घाट पर मजदूर इकट्ठा हुए। उनके लिए रहने और खाने की व्यवस्था कर दी है। उन्हें तुरंत शिफ्ट करने के आदेश दे दिए हैं। रहने और खाने की कोई कमी नहीं है। किसी को कोई भूखा या बेघर मिले तो हमें जरूर बताएं।'
उन्होंने कहा कि हम रोज 10 लाख लोगों को खाना खिलाते हैं, 75 लाख लोगों को मुफ्त राशन दिया। हजारों बेघरों के लिए छत का इंतजाम किया। लोग इतने गरीब हैं, कई लोगों को सरकारी इंतजाम का पता ही नहीं चलता। थैंक यू मीडिया, ऐसे गरीबों के बारे में हमें बताने के लिए। हर गरीब तक सरकारी इंतजाम पहुंचाएंगे।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, 'दिल्ली के सीएम के आदेश पर इन सभी मजदूरों को दिल्ली में स्थापित रैन बसेरों में ले जाया गया है। उन्हें अब वहां रखा जाएगा और उन सभी को भोजन उपलब्ध कराया जाएगा। अगर दिल्ली में कहीं भी किसी भी कर्मचारी को कोई समस्या आती है, तो हमारी सरकार उनकी देखभाल करेगी।'