- दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 500 के ऊपर दर्ज किया गया है
- बढ़ते प्रदूषण के कारण लोगों को स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियों का सामाना करना पड़ रहा है
- धीमी हवा और घने बादल छाए होने की वजह से प्रदूषक तत्वों का हवा में बिखराव नहीं हो पा रहा है
नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर के इलाको में प्रदूषण की हालत लगातार गंभीर बनी हुई है, जिसके कारण लोग स्वच्छ हवा में सांस लेने को तरस गए हैं। बीते सप्ताह मामूली राहत के बाद मंगलवार से इसमें बढ़ोतरी देखी गई, जिसके मद्देनजर आज (शुक्रवार, 15 नवंबर) तक स्कूल भी बंद कर दिए गए। दिल्ली-एनसीआर में शुक्रवार को भी कमोवेश यही स्थिति है, जहां कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 500 से ऊपर दर्ज किया गया।
प्रदूषण के कारण यहां हेल्थ इमरजेंसी के हालात हैं और लोगों को खांसी, आंखों में जलन, सांस संबंधी कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जबकि अस्थमा और सांस से जुड़ी अन्य समस्याओं से पीड़ित लोगों की परेशानी बढ़ गई है। वहीं, प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली में लागू किए गए ऑड-ईवन स्कीम की अवधि भी आज समाप्त हो रही है। हालांकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि अगर प्रदूषण की स्थिति में सुधार नहीं होता है तो इसकी समय सीमा बढ़ाई जा सकती है, पर इस पर शुक्रवार सुबह तक कोई फैसला नहीं आया है।
दिल्ली में शुक्रवार को औसत एक्यूआई 482 पर दर्ज किया गया, जो 'गंभीर' श्रेणी में है। पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में मुख्य प्रदूषक तत्व पीएम10 की हवा में औसत मात्रा 504 दर्ज की गई, जबकि पीएम2.5 की हवा में औसत मात्रा 332 दर्ज की गई। सुबह 6:07 दिल्ली के मथुरा रोड इलाके में पीएम10 की मात्रा 524 दर्ज की गई, जबकि इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर यह पीएम505 दर्ज की गई। दिल्ली के व्यस्ततम चांदनी चौक इलाके में हवा में पीएम10 की मात्रा 476 रही, जबकि पीएम 2.5 की मात्रा 475 दर्ज की गई।
दिल्ली से सटे यूपी के शहरों नोएडा व गाजियाबाद में भी हालात बेहतर नहीं हैं। नोएडा में शुक्रवार सुबह जहां एक्यूआई 583 पर दर्ज किया गया, वहीं गाजियाबाद में यह 456 पर दर्ज किया गया, जो सामान्य से कई गुना अधिक है। 0-60 तक के एक्यूआई को सामान्य माना गया है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि इस हालात से फौरी राहत की उम्मीद नहीं है, क्योंकि हवा की रफ्तार भी धीमी है और आसमान में घने बादल भी छाए हैं, जिसके कारण वातावरण में मौजूद प्रदूषक तत्वों का बिखराव नहीं हो पा रहा है। विशेषज्ञों ने इसके लिए पश्चिमी विक्षोभ को जिम्मेदार ठहराया है।