नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भड़की हिंसा से ना जाने कितने लोग बेघर हो गए और कितने अपनों से बिछड़ गए। ऐसी कई कहानियां अब सामने आ रही हैं। न्यू मुस्तफाबाद इलाके के रिक्शा चालक मोइनुद्दीन भी उनमें से एक हैं। दंगाइयों ने हिंसा के दौरान उसके घर और रिक्शा को आग लगा दी। वो अब नाले के बगल में सोने को मजबूर हैं।
पिछले रविवार तक मोइनुद्दीन अपने चार बच्चों और पत्नी के साथ खुशी से रह रहे थे, लेकिन 23 फरवरी को दंगे भड़कने के बाद रातोंरात उनके लिए सब कुछ बदल गया। उनकी पत्नी और चार बच्चे तब से लापता है। अब वह एक नाले के बगल में एक दुकान के बाहर खुले में सोने के लिए मजबूर हैं। उन्हें भोजन और पैसे के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
मोइनुद्दीन ने आंसू भरी आंखों से न्यूज एजेंसी ANI को बताया, 'मुझे अपने परिवार का पता नहीं है। मैंने अपनी पत्नी को बच्चों के साथ सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए कहा था, जब स्थिति तनावपूर्ण होने लगी थी। तब से मेरे बच्चों और पत्नी का कुछ पता नहीं है।'
'सबकुछ समाप्त हो गया'
उन्होंने आगे कहा, 'हर कोई मेरी कहानी जानता है, मैंने पुलिस को सब कुछ बता दिया है लेकिन उन्होंने कहा कि स्थिति सामान्य होने के बाद वो देखेंगे कि क्या किया जा सकता है। कई लोग यहां अपने परिवार के सदस्यों की तलाश कर रहे हैं। जिस दिन दंगे शुरू हुए मैं 2,000 रुपए का राशन लाया था, अब सब कुछ समाप्त हो गया है।'
मोइनुद्दीन की देखरेख करने वाले दुकानदार अरुण कुमार ने कहा कि वह दुकान के बाहर सो रहा है और अपने परिवार का पता लगाने की कोशिश कर रहा है। मैं उसे 2013 से जानता हूं, उसने कहा कि उसके चार बच्चे और पत्नी गायब हैं। हम उसकी देखभाल कर रहे हैं और हम ऐसा करना जारी रखेंगे।
हिंसा की जांच कर रही SIT
इस सप्ताह उत्तर पूर्वी दिल्ली में भड़की सांप्रदायिक हिंसा में 40 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है और 200 से अधिक लोगों को गंभीर चोटें आई हैं। हिंसा की जांच के लिए दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के तहत दो विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया है।
मुआवजे का ऐलान
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हिंसा में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपए का मुआवजा देने की घोषणा की है। 5 लाख रुपए उन्हें जिन्हें स्थाई रूप से चोट पहुंची है। गंभीर चोटों के लिए 2 लाख रुपए और मामूली चोट के लिए 20,000 रुपए प्रदान किए जाएंगे।