नई दिल्ली: उत्तर पूर्वी दिल्ली में हिंसा के मद्देनजर स्कूल 7 मार्च तक बंद रहेंगे। अधिकारियों के अनुसार, हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में परीक्षाएं आयोजित कराने के लिए स्थिति अनुकूल नहीं है इसलिए वार्षिक परीक्षाओं को भी स्थगित कर दिया गया है। शिक्षा परीक्षा प्रकोष्ठ निदेशालय द्वारा कहा गया है, 'उत्तर पूर्वी जिले के सभी सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और निजी मान्यता प्राप्त स्कूल 7 मार्च, 2020 तक छात्रों के लिए बंद रहेंगे। जिले के स्कूलों के लिए वार्षिक परीक्षाओं की नई तारीखों की घोषणा जल्द ही की जाएगी।'
वहीं सीबीएसई के PRO रमा शर्मा के अनुसार, उत्तर पूर्वी दिल्ली में कक्षा 10 और 12 सीबीएसई की परीक्षाएं 2 मार्च से तय कार्यक्रम के तहत आयोजित की जाएंगी। बोर्ड ने दिल्ली हाई कोर्ट में हलफनामा दायर किया है और हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार को छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और इन क्षेत्रों में परीक्षा आयोजित करने के लिए सभी सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया है।
इससे पहले केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने उत्तर पूर्वी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली के इलाकों में 28 फरवरी और 29 फरवरी को होने वाली परीक्षाएं टाल दी थीं। सीबीएसई के सचिव अनुराग त्रिपाठी के अनुसार, समूची दिल्ली के सभी केंद्रों पर सारी परीक्षाएं दो मार्च से तय कार्यक्रम के तहत ही होंगी। बोर्ड ने यह भी घोषणा की थी कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में हिंसा के चलते राष्ट्रीय राजधानी के अन्य हिस्सों में परीक्षा नहीं दे पाए छात्रों के लिए फिर से परीक्षा आयोजित करेगा।
उत्तर पूर्वी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली में चार दिन से स्कूल बंद हैं। हिंसा के कारण बंद किए गए सरकारी स्कूल वर्तमान स्थिति की समीक्षा करने के लिए प्रधानाध्यापकों और कर्मचारियों के लिए शनिवार को खोले गए।
हिंसा में स्कूलों को भी बनाया निशाना
हिंसा के दौरान उपद्रवियों ने स्कूलों को भी निशाना बनाया है। हिंसा से प्रभावित स्कूल टूटे डेस्कों और जली किताबों का ढेर बन कर रह गया है। बृजपुरी में स्थित इस स्कूल का नाम अरुण मॉडर्न सीनियर सेकेंडरी स्कूल है जो 32 साल पुराना है। स्कूल के अधिकारी दावा करते हैं कि करीब 70 लाख रुपए के नुकसान का आकलन किया गया है। स्कूल की प्राचार्य ज्योति रानी ने PTI को बताया, 'स्कूल में जो कुछ हुआ उससे मैं अब तक उबर नहीं पायी हूं। मेरे लिए सबसे बड़ी राहत की बात यह है कि जिस वक्त स्कूल में यह सब हुआ उस समय परिसर में बच्चे मौजूद नहीं थे। मैं इसकी कल्पना भी नहीं करना चाहती कि अगर स्कूल में उस समय बच्चे होते तो क्या होता।'
तोड़ फोड़ की स्थिति कई स्कूलों में है, इसमें डीपीआर स्कूल, राजधानी पब्लिक स्कूल आदि शामिल है जहां दंगाइयों ने पुस्तकालयों को आग के हवाले कर दिया।
गौरतलब है कि सोमवार को इलाके में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी। भीड़ ने मकानों, दुकानों और वाहनों को आग के हवाले करने के साथ ही एक पेट्रोल पंप को आग लगा दी थी । साथ ही स्थानीय लोगों और पुलिसकर्मियों पर पथराव भी किया गया था। हिंसा में 40 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हैं।