संजय भटनागर। उत्तर प्रदेश ने हाल ही में लखनऊ में संपन्न हुए राज्यों के पुलिस बलों और अर्धसैनिक बलों के प्रमुखों के वार्षिक सम्मेलन की मेजबानी तो की ही, साथ ही साथ इसके आयोजन में एक इतिहास भी बनाया। इसके एक नहीं अपितु अनेक कारण हैं। शायद यह कम लोगों को पता होगा कि पहली बार यह सम्मेलन किसी भी राज्य पुलिस मुख्यालय में आयोजित किया गया जिसमें पुलिस महानिदेशक और राज्य पुलिस बलों के पुलिस महानिरीक्षक, अर्धसैनिक बल, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, खुफिया ब्यूरो प्रमुख अरविंद कुमार और रॉ प्रमुख सामंत गोयल सहित शीर्ष अधिकारी शामिल हुए थे।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी सम्मेलन में उपस्थित थे और उल्लेखनीय रूप से, प्रधान मंत्री ने लखनऊ में पुलिस मुख्यालय में सम्मेलन स्थल पर 12 घंटे बिताए - इस तरह की किसी भी कांफ्रेंस में पहली बार। इसके अलावा उन्होंने सम्मेलन के समापन सत्र को भी संबोधित किया।
पुलिस प्रमुखों का यह वार्षिक सम्मेलन पारम्परिक रूप से दिल्ली में आयोजित किया जाता था। वर्ष 2020 के अपवाद के साथ जब यह वर्चुअली आयोजित किया गया, सम्मेलन 2014 में गुवाहाटी में आयोजित किया गया, 2015 में धोर्डो, कच्छ का रण; 2016 में राष्ट्रीय पुलिस अकादमी, हैदराबाद; 2017 में बीएसएफ अकादमी, टेकनपुर (मध्य प्रदेश); 2018 में केवड़िया (गुजरात); और 2019 में आईआईएसईआर, पुणे में इसका आयोजन हुआ। यह पहला अवसर रहा जब यह किसी प्रदेश की राजधानी में हुआ और इसके लिए लखनऊ को चुना गया। इतने सारे अति विशिष्ट विभूतियों का एक साथ एक स्थान पर इकट्ठा होना भी उत्तर प्रदेश में सुरक्षा की भावना की सकारात्मक तस्वीर पेश करता है।
इस बेहद प्रतिष्ठित सम्मेलन की मेजबानी यूपी पुलिस के लिए सम्मान की बात रही है। कई राज्यों के डीजीपी यूपी पुलिस में लाए गए आधुनिकीकरण और कार्य परिवर्तन से अत्यधिक प्रभावित हुए। कई राज्य पुलिस प्रमुखों ने यूपी-112 आपातकालीन हेल्पलाइन सेवा, पुलिस थानों में महिला हेल्प डेस्क और बुनियादी ढांचे में अन्य सुधारों की सराहना की।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर पिछले साढ़े चार वर्षों में यूपी पुलिस के बुनियादी ढांचे को एक बड़ा बढ़ावा दिया गया है। राज्य के पुलिस बल को न केवल देश में बल्कि पूरे विश्व में सबसे बड़ा एकल पुलिस बल होने का गौरव प्राप्त है। यूपी पुलिस महानिदेशक के नेतृत्व में बल 75 जिलों में फैले लगभग 2.5 लाख कर्मियों की कमान संभालता है। सबसे महत्वपूर्ण सुधार उपाय वर्ष 2020 में पुलिस आयुक्त प्रणाली की शुरूआत थी। पहले चरण में, दो अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) रैंक के अधिकारियों को लखनऊ और नोएडा के पहले पुलिस आयुक्त के रूप में तैनात किया गया था और मार्च 2021 में, प्रणाली कानपुर और वाराणसी में लागू की गयी।
तकनीक का प्रयोग
पुलिस व्यवस्था को और अधिक लोगों के अनुकूल बनाने की दिशा में प्रौद्योगिकी का बढ़ता उपयोग पिछले साढ़े चार साल में यूपी पुलिस की खासियत रही। अब नागरिकों को छोटी और नियमित चीजों और विभिन्न ऐप के लिए पुलिस थानों में जाने की जरूरत नहीं है, हेल्पलाइन उनकी मदद कर सकती है। प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए, पुलिस अब यूपी कॉप ऐप, प्रहरी बीट पुलिसिंग ऐप और विभिन्न हेल्पलाइन से लैस सीसीटीएनएस (अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम) के साथ एकीकृत हो गई है।
साइबर पुलिस थानों की स्थापना और सभी थानों में साइबर हेल्प डेस्क की स्थापना साइबर अपराधियों द्वारा लक्षित लोगों की मदद करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। समाज के सभी वर्गों में आईटी सेवाओं, ई-कॉमर्स और अन्य ऑनलाइन सुविधाओं के उपयोग के साथ, साइबर अपराध बढ़ रहा है, इसे देखते हुए साइबर प्रौद्योगिकी का उपयोग प्रभावी सिद्ध हुआ है। इसके अलावा राज्य में पुलिस कर्मियों के खिलाफ भ्रष्टाचार और इसी तरह के मामलों में कमी आई है।
लोगों ने कोविड-19 महामारी के चरम के दौरान पुलिस बल का एक मानवीय, जनहितैषी चेहरा देखा। मदद, दवाओं और दैनिक जरूरतों के लिए वरिष्ठ नागरिकों के लिए मददगार की भूमिका निभाने वाले पुलिस कर्मियों के बारे में रिपोर्ट, आंदोलन पर प्रतिबंधों के बारे में जागरूकता पैदा करना, और अन्य राज्यों और शहरों से घर लौट रहे अप्रवासियों की मदद करना पुलिस बल का एक चेहरा प्रस्तुत करता है जिसने पुलिस बल को बदल दिया।
सभी सुधारों का उद्देश्य पुलिस बल को अधिक कुशल, अधिक लोगों के अनुकूल और अपराध को नियंत्रित करने और कानून और व्यवस्था बनाए रखने के अपने कर्तव्यों में अडिग बनाना है। इन उद्देश्यों के साथ यूपी सरकार सही दिशा में आगे बढ़ रही है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
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