- पिछले साल 26 नवंबर को दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन की शुरुआत हुई
- सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ शुरू हुआ था किसान संगठनों का आंदोलन
- सरकार ने तीन कृषि कानूनों को वापस ले लिया है, किसान अब MSP पर कानूनी गारंटी चाहते हैं
नई दिल्ली : तीन कृषि कानूनों (Farm Bills) के खिलाफ अपने प्रदर्शन के एक साल पूरे होने पर गाजीपुर (Ghazipur) एवं सिंघू (Singhu Border) बॉर्डर पर किसान (Farmers) बड़ी संख्या में जुटे हैं। इनमें महिलाएं भी शामिल हैं। किसान संगठनों का एक वर्ष का आंदोलन ऐसे समय में पूरा हुआ है जब सरकार ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है। गत 19 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया। इन कानूनों को वापस लेने के प्रस्ताव पर कैबिनेट की भी मुहर लग चुकी है।
आंदोलन वापस लेने को तैयार नहीं किसान संगठन
अगले साल की शुरुआत में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन चुनावों से ठीक पहले सरकार ने किसानों की नाराजगी दूर करने की कोशिश की है। हालांकि, किसान संगठन अपना आंदोलन वापस लेने के लिए तैयार नहीं हैं। किसान संगठनों की मांग है कि सरकार को एमएसपी को कानूनी गारंटी देने के लिए कानून बनाना चाहिए। किसान संगठनों ने एमएसपी सहित छह मांगें सरकार को भेजी हैं। इन मांगों पर सरकार ने अभी कोई फैसला नहीं किया है।
डीजल, खाद-बीज के दाम बढ़ते जा रहे हैं-किसान
गाजीपुर बॉर्डर पर पीलीभीत जिले के किसान कवरवीर सिंह ने कहा, 'पिछले एक साल में प्रदर्शन के दौरान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन करते हुए प्रतिदिन करीब दो किसानों की जान गई है। आने वाली पीढ़ी यह समझेगी कि कैसे किसानों ने खेती और अपनी जमीन बचाई। हालांकि, इतने वर्षों के बाद भी जमीनी हकीकत बदली नहीं है। डीजल, खाद-बीज के दाम बढ़ते जा रहे हैं। अब हमें हरित क्रांति के नफे-नुकसान का पता चल रहा है। फसलों का सही दाम मिलने पर ही किसान तरक्की कर पाएंगे और उन्हें कर्ज से मुक्ति मिल पाएगी। इसलिए अब हम एमएसपी पर कानून बनाने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।'
किसानों के प्रति असंवेदनशील है सरकार-SKM
किसानों के आज के कार्यक्रम को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने राजधानी में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई है। किसान पिछले एक साल से दिल्ली की तीन सीमाओं-- सिंघू, टीकरी और गाजीपुर में डेरा डाले हुए हैं। केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन पिछले साल 26-27 नवंबर को "दिल्ली चलो" कार्यक्रम के साथ शुरू हुआ था। चालीस से अधिक किसान यूनियन के आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने एक बयान में कहा कि इतने लंबे समय तक संघर्ष जारी रखना दिखाता है कि भारत सरकार अपने मेहनतकश नागरिकों के प्रति असंवेदनशील और अहंकारी रवैया रखती है।