राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दो साल से ज्यादा वक्त बीत चुका है। रामलला के जन्मस्थान पर भव्य मंदिर बन रहा है और इससे थोड़ी ही दूरी पर एक मस्जिद का निर्माण भी शुरू हो गया है तो फिर कौन है जो राष्ट्रीय राजधानी के बीचों बीच फिर बनाओ बाबरी के नारे लगा रहा है? कौन है जो बाबरी के नाम पर भड़काने की कोशिश कर रहा है? और क्या अभी भी कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें सदियों पुराने विवाद के खत्म हो जाने की बात हजम नहीं हो रही है? बाबरी के बहाने क्या मकसद है...भटकाना और भड़काना?
बाबरी मस्जिद विवाद जिसे सुप्रीम कोर्ट ने सुलझा दिया। 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए इस विवाद को हमेशा के लिए शांत कर दिया। 2.77 एकड़ विवादित जमीन हिंदू पक्ष को मिली, जहां राम मंदिर निर्माण का काम जोरों पर है तो वहीं मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन मुहैया कराई गई। ये विवाद तो शांत हो गया, लेकिन जेएनयू से एक बार फिर बाबरी मस्जिद बनाने की मांग उठी है। बाबरी मस्जिद की 29वीं बरसी पर जेएनयू छात्रसंघ की ओर से एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें बाबरी मस्जिद फिर से बनाने की मांग को लेकर लगने नारों से माहौल काफी गर्म हो गया है। छात्रों के प्रदर्शन के दौरान कईं और विवादास्पद नारे भी लगाए गए, जिसमें आरएसएस के खिलाफ भी आपत्तनिजनक नारे थे।
ये है खबर
- जेएनयू में फिर लगे विवादित नारे
- 6 दिसंबर की रात को निकाला गया मार्च
- बाबरी मस्जिद गिराने की बरसी पर प्रोटेस्ट
- 'फिर बनाओ...फिर बनाओ बाबरी' के नारे लगे
- छात्रसंघ उपाध्यक्ष साकेत मून का विवादित बयान
- फिर बननी चाहिए बाबरी मस्जिद-साकेत मून
- RSS-बीजेपी के खिलाफ भी नारेबाजी
- 'RSS की कब्र खुदेगी, जेएनयू की धरती पर' के नारे
- समाजवादी पार्टी सांसद शफीकुर्रहमान ने किया फेसबुक पोस्ट
- 'बाबरी हमारे सीनों में महफूज, ना हम भूले हैं और ना हमारी नस्लें भूलेंगी'