- असम में डिटेंशन सेंटर के अंदर अल्पसंख्यकों के साथ बर्बरता के दावे का सच
- सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है पुलिस की बर्बरता का VIDEO
- फेसबुक पेज पर पोस्ट में किया दावा झूठा, कुछ और ही निकली सच्चाई
नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो के लिखे गए कैप्शन में भ्रामक रूप से दावा किया गया है कि असम के एक शिविर में मुसलमानों के साथ पुलिस दुर्व्यवहार कर रही है है। 6 मिनट लंबे वीडियो में जेल के अधिकारी कैदियों के साथ बदसलूकी करते नजर आ रहे हैं।
'इस्लाम की जानकारी' नाम के एक फेसबुक पेज पर इस वीडियो को पोस्ट किया गया है। इसके साथ कैप्शन में लिखा है, 'मुस्लिम असम में हिरासत शिविरों में हैं। अल्लाह उन सभी की रक्षा करे।' 24 घंटे से भी कम समय में, इसे 11,000 से ज्यादा बार साझा किया गया। फेसबुक पर इसे 108,000 से अधिक बार देखा गया।
फेसबुक पर कुछ और पड़ताल किए जाने के बाद पता चला कि एक ही वीडियो को पिछले 24 घंटों में एक ही कैप्शन के साथ कई बार शेयर किया गया है।
क्या है सच?- दरअसल यह वीडियो करीब 11 महीने पुराना है और भारत नहीं श्रीलंका की जेल का है जिसे असम का बताकर झूठे दावों के साथ वायरल किया जा रहा है।
एशिया टाइम्स के अनुसार, वीडियो नवंबर 2018 में शूट किया गया था जब श्रीलंका एक संवैधानिक संकट का सामना कर रहा था और वहां एक सक्रिय सरकार नहीं थी। लेख में कहा गया है, 'दो कैमरों से मिली वीडियो फुटेज के अनुसार कैदियों को 22 नवंबर की सुबह 8.58 बजे से सुबह 9.18 बजे तक मारपीट की गतिविधियों को देखा गया।'
16 जनवरी, 2019 को कोलंबो टेलीग्राफ नाम की एक श्रीलंकाई समाचार वेबसाइट की ओर से YouTube पर इसी घटना का एक छोटा वीडियो अपलोड किया गया था। वीडियो के शीर्षक में लिखा है, 'अगुनकोलप्पा जेल में विरोध करने वाले कैदियों के साथ क्रूरता की गई।' यह वीडियो आप यहां देख सकते हैं।
यह इस बात की पुष्टि करता है कि वीडियो वास्तव में श्रीलंका के दक्षिणी हिस्से की एक जेल का है।