- सामना में डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे की आलोचना
- ट्रंप दौरे से ज्यादा अहमदाबाद में झुग्गियों को दीवारों से ढंकने की चर्चा
- धार्मिक आजादी का मसला भारत का आंतरिक मामला, किसी दूसरे देश को बोलने का हक नहीं
नई दिल्ली। दुनिया का सबसे ताकतवर शख्स डोनाल्ड ट्रंप भारत के दौरे पर हैं। उनके स्वागत में भव्य व्यवस्था की गई है। भारत और अमेरिकी रिश्ते के लिए यह दौरा अहम है। लेकिन शिवसेना का नजरिया कुछ और ही है। सामना में शिवसेना का कहना है कि राष्ट्रपति ट्रंप के 36 घंटे के दौरे से आम भारतीयों को कुछ हासिल नहीं होने वाला है। राष्ट्रपति ट्रंप के दौरे से गरीबों की जिंदगी संवरने वाली नहीं है।
ट्रंप दौरे से ज्यादा झुग्गियों की चर्चा
सामना में मोदी सरकार के अहमदाबाद को सजाने संवारने में जिस तरह से सरकारी एजेंसियां आगे आई उसमें ट्रंप के दौरे से ज्यादा झुग्गी झोपड़ियों को छिपाने का मामला सुर्खियों में है। इसके साथ ही शिवसेना का कहना है कि धार्मिक आजादी का मसला भारत का आंतरिक मामला है और उस पर किसी दूसरे देश की टिप्पणी का कोई हक नहीं बनता है।
36 घंटे में नहीं सुधरेगी भारतीय अर्थव्यवस्था
सामना में लिखा गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था का हाल खराब है, अमेरिका से भारत को व्यापार की जरूरत है ताकि रुपये की सेहत सुधरे। भारत की सभी आर्थिक परेशानियां 36 घंटे के भीतर सुलझ नहीं सकती है।शिवसेना का कहना है कि जब ट्रंप भारत दौरे से वापस अमेरिका जाएंगे तो उनकी यात्री की कोई भी निशानी यहां नहीं रहेगी। इसके साथ ही दिल्ली में मेलानिया ट्रंप के स्कूल दौरे पर सामना में लिखा गया है कि आखिर मोदी जी के काम को ट्रंप कब देखेंगे।
धार्मिक आजादी के विषय पर न हो चर्चा
अमेरिका द्वारा भारत में धार्मिक आजादी के विषय को उठाने पर सामना में लिखा गया कि किसी दूसरे देश को इस विषय पर बोलने का हक नहीं है। भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने का अधिकार किसी देश को नहीं है चाहे वो अमेरिका ही क्यों न हो। मोदी सरकार इस विषय पर अमेरिका से बातचीत की जरूरत ही नहीं है। दरअसल अमेरिका की यह आदत रही है कि वो उन मुद्दों पर भी अपनी राय रखता है जिससे उसका किसी तरह का संबंध नहीं होता है।