- महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात सहित कई राज्यों ने घोषित किया है नाइट कर्फ्यू
- कोरोना के नए मामलों में तेजी आने के बाद राज्यों ने उठाया बड़ा कदम
- स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के नए स्ट्रेन के चलते भी बढ़ रहे केस
नई दिल्ली : कोरोना के नए मामलों में उछाल आने के बाद दिल्ली, महाराष्ट्र,राजस्थान, ओडिशा और गुजरात सहित दूसरे अन्य राज्यों ने अपने यहां नाइट कर्फ्यू लागू किया है। राज्य सरकारें अपने यहां कोरोना के संक्रमण पर रोक लगाने के लिए नाइट कर्फ्यू को एक बड़े कदम के रूप में देख रही हैं। दिल्ली सरकार ने भी 30 अप्रैल तक रात 10 बजे से सुबह पांच बजे तक नाइट कर्फ्यू लागू किया है। लोग इस नाइट कर्फ्यू पर सवाल उठा रहे हैं। लोगों जानना चाहते हैं कि कोरोना का वायरस क्या दिन की तुलना में रात में ज्यादा एक्टिव रहता है।
नाइट कर्फ्यू से फ्रंटलाइन वर्करों को मिलती है मदद
एक न्यूज चैनल के साथ बातचीत में इस सवाल का जवाब अशोका यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर गौतम मेनन ने दिया है। डॉ. मेनन का कहना है कि नाइट कर्फ्यू से कोरोना संक्रमण पर रोक लगाने में ज्यादा मदद नहीं मिलती। हां, इतना जरूरत होता है कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में शामिल फ्रंटलाइन कर्मचारियों एवं सुरक्षाकर्मियों को थोड़ी राहत मिल जाती है। इससे ज्यादा नाइट कर्फ्यू से और लाभ नहीं मिलता है।
तीन दिनों में दोगुनी हो गई संक्रमण की संख्या
देश में जिस तेजी से कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है उस पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चिंता जताई है। पिछले 24 घंटे में देश में संक्रमण के 1,26,789 नए मामले आए जबकि इस दौरान 685 लोगों की मौत हो गई। यह लगातार तीसरा दिन है जब संक्रमण के आंकड़ा एक लाख को पार कर गया है। पिछले कुछ दिनों में संक्रमण की संख्या दोगुनी हो गई है। इससे जाहिर है कि वायरस तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि तेजी से बढ़ते संक्रमण पर रोक लगाने के लिए सरकार को एक साथ कई कदमों को सख्ती से लागू करना होगा।
संक्रमण रोकने के लिए सख्त उपाय करे सरकार
विशेषज्ञ मानते हैं कि सार्वजनिक जगहों पर मास्क पहनना बेहद जरूरी है। इसके अलावा सरकार को टेस्टिंग, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और आइसोलेशन के अपने उपाय को और तेज और सख्त बनाने होंगे। शादी-समारोहों, इनडोर-आउटडोर खेल परिसरों एवं सार्वजनिक जगहों पर भीड़ नियंत्रित करने के लिए ठोस रणनीति होनी चाहिए। इसके साथ ही टीकाकरण अभियान में तेजी जरूरी है। सरकार को यह देखना होगा कि टीका लगाने की प्रक्रिया को कैसे तेज किया जा सकता है। वैक्सीन और टीकाकरण करने वाली टीम दोनों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है।